पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद टीवी चैनलों में आपने रिटायर्ड जनरल जी डी बख्शी का एक बयान ज़रूर देखा होगा। ये बयान सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया है। टीवी चैनलों में पुलवामा पर बातचीत के दौरान जनरल बख्शी श्रीनगर के पास की एक घटना का ज़िक्र करते हैं। इस घटना का ज़िक्र वो इस सवाल पर करते हैं कि पुलवामा में इतनी भारी मात्रा में विस्फोटक लेकर कोई बिना जांच के कैसे निकल कर आतंकवादी घटना को अंजाम दे सकता है?
वो कहते हैं…
महबूबा मुफ्ती के शासन में श्रीनगर के बाहर तीन चेक पोस्ट होती थीं। एक दिन कार में जा रहे कश्मीरी युवक चेकपोस्ट पर रोकने पर नाराज हो गया। वो बोला कि उसे क्यों रोका गया? औऱ गुस्से में उसने पहले औऱ फिर दूसरे बैरियर को तोड़ दिया। बार बार चेतावनी देने के बाद भी वो नहीं रुका। जब उसने तीसरे बैरियर पर भी यही किया तो वहां मौज़ूद सैनिकों ने उस पर फायरिंग कर दी और वो मौके पर मारा गया।इसके बाद स्थानीय लोगों ने बहुत हंगामा किया। महबूबा मुफ्ती ने गोली चलाने वाले सैनिक को जेल भिजवाया ,जो अब भी तिहाड़ में है। औऱ आर्मी को माफी मांगनी पड़ी । उसके बाद से चेकपोस्ट हटा दिए गए।
नीचे दिए गए एबीपी न्यूज़ के इस कार्यक्रम के वीडियों में जनरल बख्शी के बयान को आप 15:48-17:10 तक सुन सकते हैं।
जनरल बख्शी ने ये बात कई चैनलों पर कही है । वो पुलवामा की घटना के लिए भी महबूबा मुफ्ती को ज़िम्मेदार ठहराते हैं। इसकी वजह वो बताते हैं कि चेकपोस्ट बडगाम की घटना के बाद से हटा दिए गए तभी आतंकवादी इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक बिना जांच के ले गए। नीचे इंडिया टीवी के प्रोग्राम में वो बडगाम की कहानी सुना रहे हैं। इस प्रोग्राम की क्लिप को पुड्डुचेरी की राज्यपाल किरन बेदी ने ट्वीट किया है।
जनरल बख्शी की इस बात से बीजेपी नेता सुब्रहमणियम स्वामी भी सहमति जताते हैं। पूर्व मेजर गौरव आर्या भी यही बात ट्वीट करते हैं।
आइए अब समझते हैं कि ये पूरी घटना क्या थी?
ये घटना 3 नवंबर 2014 को जम्मू कश्मीर के बडगाम जिले के छतरगाम की है। अखबारों की रिपोर्ट के मुताबिक छतरगाम से नौगाम जा रही एक कार पर फायरिंग होती है । फायरिंग वहां पर तैनात राष्ट्रीय रायफल के जवान करते हैं। कार में 5 लड़के सवार थे जिनमें दो की मौके पर मौत हो जाती है। इस घटना पर काफी हंगामा होता है।इस घटना की वजह क्या थी? इस पर स्थानीय लोग, पुलिस और आर्मी का अपना अपना रुख है। घटना को लेकर घाटी में आर्मी के खिलाफ ज़बरदस्त प्रदर्शन किए जाते हैं औऱ हिंसा भी होती है। इस घटना की एफआईआर दर्ज़ की जाती है। आर्मी 9 सैनिकों के खिलाफ कोर्ट ऑफ इंक्वाययरी का आदेश देती है। इस घटना को सभी http://अखबार/ प्रमुखता से कवर करते हैं। अखबारों के मुताबिक सेना ये मानती है कि जवानों से गलती हुई है।
फैक्ट चेक
जनरल बख्शी का पहला दावा- घटना महबूबा मुफ्ती के शासनकाल की है
उस दौरान महबूबा मुफ्ती नहीं बल्कि उमर अबदुल्ला मुख्यमंत्री थे। पीडीपी की सरकार अप्रेल 2015 में बनी थी। औऱ मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री बने थे। अप्रेल 2016 में अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद की मौत के बाद महबूबा मुख्यमंत्री पद के लिए चुनी गईं थीं।
निष्कर्ष- जनरल बख्शी का यह दावा गलत है।
जनरल बख्शी का दूसरा दावा– फायरिंग करने वाले सैनिक को तिहाड़ जेल भेज दिया गया और वो अब भी वहीं है
इस बारे में उस समय के ऑफिसर इंचार्ज लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हूडा से The Quint ने विस्तार से बातचीत की है। बातचीत में लेफ्टिनेंट जनरल हूडा कहते हैं कि ना तो किसी का कोर्टमार्शल हुआ था औऱ ना ही किसी सैनिक को जेल भेजा गया था।इस घटना के बाद उस समय नार्दर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ हूडा ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी औऱ कहा था कि आर्मी इन मौतों की पूरी ज़िम्मेदारी लेती है। इस बात को अखबारों नें रिपोर्ट किया था। कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने एक लेख लिखा था जिसमें उन्होने 9 सैनिकों के कोर्ट मार्शल किए जाने की बात कही थी। इसके जबाब मे नार्दर्न कमांड की तरफ से 24 जुलाई 2016 में एक ट्वीट किया गया जिसमें कहा गया कि सेना के किसी अधिकारी या जवान का ना तो कोर्ट मार्शल किया गया है औऱ ना ही कोई जेल गया।
निष्कर्ष- जनरल बख्शी का दूसरा दावा भी गलत है।
जनरल बख्शी का तीसरा दावा– बडगाम की घटना के बाद चेक पोस्ट हटा दिए गए थे।
The Quint से बात करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल हूडा ने बताया कि ऐसा कोई सरकारी आदेश नहीं दिया गया था। चेकपोस्ट नहीं हटाए गए थे।
The Quint और लेफ्टिनेंट जनरल हूडा की बातचीत आप नीचे लिंक पर पढ़ सकते हैं।
निष्कर्ष- जनरल बख्शी का तीसरा दावा भी गलत है।
जनरल बख्शी ने जिस घटना का ज़िक्र किया वो सही है। ये भी सही है कि आर्मी ने इस घटना पर माफी मांगी थी। लेकिन घटना के बाद जांच औऱ उसके परिणाम के बारे में उन्होने जो तीन बड़े दावे किए वो झूठ पाए गए।
बहुत सटीक न्यूज ।