लाल रंग का स्कार्फ और इसी रंग की जैकट पहने एक महिला की तस्वीर कुछ लोगों के साथ सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल की जा रहीं. तस्वीर में कुछ और लोग भी हैं जो भारतीय किसान युनियन उगराहां का झंडा लिए हैं. दावा किया जा रहा है कि महिला हाथरस वाली ‘भाभी’ है, जिनका असली नाम डॉक्टर राजकुमारी बंसल है. हाथरस कांड के दौरान पीड़िता के घर में रहने की वजह से ये चर्चा में आईं थी. दावा किया जा रहा है कि डॉक्टर बंसल दिल्ली में किसानो के आंदोलन में भाग ले रहीं हैं. भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संतोष रंजन राय ने ये तस्वीर शेयर करते हुए लिखा ‘’हाथरस वाली भौजी आज किसान बनी है’’
हरियाणा बीजेपी के सोशल मीडिया इंचार्ज अरुण यादव ने तस्वीर तो नहीं पोस्ट की लेकिन ट्वीट में लिखा ”सुना है हाथरस की “नकली भाभी” अब “किसान” बन गयी हैं”
इसी तरह पूर्व सांसद हरिओम पांडेय ने भी यही दावा किया.
बीजेपी समर्थित लेखिका शेफाली वैद्या ने इस तस्वीर के फैक्ट चेक होने के बाद भी एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा ‘’क्या सच है?’’ जिस ट्वीट को इन्होने रिट्वीट किया उसमें लिखा है ‘’पहचाना इनको ? ये हाथरस वाली दलित भाभी हैं अब ये किसान बन चुकी हैं’’
ट्विटर पर औऱ पोस्ट आप यहां भी देख सकते हैं. फेसबुक पर भी ये तस्वीर इसी दावे के साथ लोग खूब शेयर कर रहे हैं. ऑरिजनल पोस्ट यहां देख सकते हैं.
कुछ स्क्रीन शॉट आप नीचे देख सकते हैं.
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शाहीन बाग की दादी बिल्किस बानो की वायरल तस्वीर किसान आंदोलन की नहीं है
फैक्ट चेक
हमारी पिछली फैक्ट चेक स्टोरी की वायरल तस्वीर में भी इसी तरह के झंडे लिए हुए लोग दिखाई दिए. जांच के दौरान हमे पता चला था कि ये झंडे भारतीय किसान युनियन उगराहां के हैं. हमने सबसे पहले संगठन के आधिकारिक फेसबुक पेज पर इस तस्वीर को तलाश की तो हमे ये आसानी से मिल गई. इस साल 10 फरवरी को ये तस्वीर पोस्ट गई थी .पोस्ट का स्क्रीन शॉट आप नीचे देख सकते हैं. ऑरिजनल पोस्ट यहां देख सकते हैं.
10 फऱवरी को पोस्ट की गई तस्वीर से ही ये साबित हो गया कि इसका दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन से कोई मतलब नहीं है. कृषि बिल सितंबर के महीने में संसद में पास हुए था. उसके बाद किसानों ने अपने-अपने राज्यों में आंदोलन शुरू किया था. दिल्ली में ये आंदोलन 5 दिन पहले शुरू हुआ है. बूम लाइव ने भारतीय किसान यूनियन उगराहां की महिला विंग की अध्यक्ष से बात की तो उन्होने बताया ”ये तस्वीर शाहीनबाग में नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे धरने के दौरान की है. उस समय संगठन के लोग वहां लंगर खिलाने के लिए जाते थे.” उनके इस बयान के बाद हमने तस्वीर की लोकेशन को गूगल मैप के जरिए पता लगाया तो पता चला कि ये जगह दिल्ली के शाहीन बाग में कालिंदी कुंज रोड की ही है. यहीं पर नागरिकता कानून के खिलाफ धरना हुआ था .नीचे गूगल मैप से लोकशन की तुलना आप देख सकते हैं.
हमने डॉक्टर राजकुमारी बंसल से भी बात की तो उन्होने बताया ”तस्वीर में दिख रही महिला वो नहीं है. और ना ही वो किसान आंदोलन में शामिल हुईं.” नीचे डट बंसल औऱ वायरल तस्वीर में दिख रही महिला की तस्वीर की तुलना आप देख सकते हैं. दोनों के चेहरे मेल नहीं खाते हैं.
आपको बता दे कि डॉ राजकुमारी बंसल के बारे में कहा गया था हाथरस कांड में वो पीड़िता के घर उनकी रिश्तेदार बनकर रहीं फिर अचानक गायब हो गई . सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ हाथरस की नक्सली भाभी कहकर झूठा कैंपेन चलाया गया था
निष्कर्ष
वायरल तस्वीर किसान आंदोलन की नहीं है. और ना ही तस्वीर में हाथरस कांड में सोशल मीडिया पर चर्चित हुई डॉक्टर राजकुमारी बंसल हैं.ये तस्वीर 10 महीने पहले शाहीन बाग में नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे विरोध के दौरान की है. किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए ये प्रपोगैंडा चलाया जा रहा है
दावा-हाथरस की नक्सली भाभी किसान आंदोलन में शामिल हुई
दावा करने वाले—दक्षिणपंथी समर्थक, बीजेपी नेता, सोशल मीडिया यूजर
सच-दावा झूठा है