सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप वायरल है. इस क्लिप में वीडियो काफी परेशान करने वाला है. वीडियो में घायल महिला अपना नाम आयशा बताती है. वो कहती हैं कि इस समय वो दिल्ली के आजादपुर पुलिस स्टेशन में हैं, फिर वो अपने साथ हुई घटना की कहानी बताती हैं. वीडियो के बारे में झूठा दावा किया जा रहा है कि मुस्लिम महिला डाक्टर को राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के लोगों ने बुरी तरह मारा है.जबकि महिला एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट है. एक फेसबुक यूजर ने दावा किया ‘सत्तारुढ़ पार्टी और प्रधानमंत्री मोदी से संबंधित उग्रवादी संगठन आरएसएस ने आयशा नामकी एक मुस्लिम डॉक्टर को अस्पताल में बुरी तरह मारा, मारने की पीछे आरोप है कि मुसलमान कोरोना फैला रहे हैं, भारत में मुसलमानों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है .’’
इसी तरह ट्विटर पर भी ये वायरल है. एक ट्विटर यूजर ने भी यही दावा किया.
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फैक्ट चेक
सबसे पहले हमने इस वीडियो क्लिप को ध्यान से सुना जिसमें घायल महिला अंग्रेजी में अपने साथ हुई घटना को बता रही हैं जिसका हिन्दी अनुवाद है ”हाय, मैं आयशा हूं फिर से आपके सामने. जिस तरह की चीजें हमारे साथ होती हैं उसके बारे में हम आपको बताते रहते हैं.इस समय मैं आजादपुर पुलिस स्टेशन के ड्यूटी आफीसर के रुम के बाहर खड़ी हूं, अभी-अभी हम लोगों को उस समय मारा गया जब हम कुत्तों को पकड़ रहे थे.हमेशा की तरह कोई हमारे पास आया और हमारे स्टाफ से बदतमीजी से बात की. जैसा कि अक्सर होता है इस बदतमीजी को चुपचाप सहने की हमसे उम्मीद की गई, इसलिए जब हमने इसका जवाब देने का फैसला किया तो हमारे साथ ये सब हुआ.” कैमरे को पैन करके टीम के अन्य सदस्यों और ड्यूटी अफसर को भी दिखाया जाता है. वीडियो में वो कार बी दिखती है जिसे हमलवरों ने तोड़ा था. आयशा फिर कहती हैं कि ये कोई नई बात नहीं है. हमारे साथ लोग अक्सर ऐसा व्यवहार करते हैं. वीडियो क्लिप से जाहिर हुआ कि ये कोई संगठन है जो कुत्तों के लिए काम करता है. हमने ‘आयशा और कुत्तों’ की-वर्डस की सहायता से गूगल सर्च किया तो हमे कई मीडिया रिपोर्टस मिली जिसमें इस घटना को कवर किया गया था.रिपोर्ट के अनुसार 3 जुलाई को दिल्ली के रानीबाग इलाके का पास की ये घटना है. वीडियो में दिख रही महिला का पूरा नाम आयशा क्रिस्टीना बेन है औऱ वो एक एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट हैं. आयशा ‘नेबरहुड वूफ’ नाम की एक संस्था की फांउडर हैं जो जानवरों के लिए काम करती है.रानीबाग इलाके में रात को आयशा और उनकी टीम लावारिस कुत्तों की मदद के लिए उन्हे पकड़ रहीं थी तभी स्थानीय लोगों ने उन पर हमला कर दिया. ये रिपोर्ट आप यहां भी पढ़ सकते हैं. इंडिया चेक ने आयशा से बात की तो उन्होने बताया कि इस घटना में किसी तरह का कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं हैं. लोगों में जागरूकता का अभाव होने की वजह से अक्सर उनकी टीम के साथ इस तरह की घटना होती है. ‘नेबरहुड वूफ’ ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर भी इस पूरी घटना की जानकारी दी है. जिसमें किसी तरह के धार्मिक एंगल की बात नहीं की गई है. इस वीडियो को आप नीचे देख सकते हैं.
‘नेबरहुड वूफ’ दिल्ली नगर निगम में भी इस काम के लिए सम्बद्ध है. पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है.
निष्कर्ष
सोशल मीडिया पर दावा पूरी तरह गलत है. वीडियो में दिख रही महिला का नाम आयशा क्रिस्टीना बेन है. ये सही है कि कुछ लोगों ने उनपर हमला किया लेकिन आरएसएस से कोई लेना देना नहीं है. आयशा जानवरों के अधिकारों के लिए काम करती हैं. लावारिस कुत्तों की मदद के दौरान उन पर हमला किया गया. हमला करने वाले उनको ये काम करने से रोक रहे थे जिसकी वजह से ये घटना हुई. इसमें किसी तरह का कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है.
दावा-मुस्लिम महिला डॉक्टर की आरएसएस के लोगों ने पिटाई की
दावा करने वाले -सोशल मीडिया यूजर
सच-दावा गलत है. आरएसएस का इस घटना से कोई मतलब नहीं है. और ना इसमें कोई सांप्रदायिक एंगल है
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