केरल में एक गर्भवती हथिनी की मौत के बाद पूरे देश में जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को को मिल रही है. सोशल मीडिया पर इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश हो रही है. मेनस्ट्रीम मीडिया की गलत रिपोर्टिंग ने आग में घी डालने का काम किया. कनेडियन लेखक तारेक फतेह ने ट्वीट करके दावा किया ‘अनानास में विस्फोटक भरकर गर्भवती हथिनी को खिलाकर मारने की वीभत्स घटना केरल के मल्लापुरम जिले में हुई है. ये राज्य का अकेला मुस्लिम बाहुल्य ज़िला है जहां 70 फीसदी आबादी मुस्लिमों की है. क्या संभावना है ?’
जे नंदकुमार नामके वेरिफाइड ट्विटर हैंडल से दावा किया जाता है ‘केरल के मल्लापुरम से दहला देने वाली खबर है. तथाकथित पशु प्रेमी लिबरल लोगों की तरफ से कोई आवाज नहीं आ रही है क्योंकि ये लाल-जेहाद की जन्मस्थली नंबर -1 मॉडल राज्य में हुआ है.’
कुछ और ट्वीट आप यहां और यहां भी देख सकते हैं. बीजेपी के बड़े नेता भी इसमें पीछे नहीं रहे और मल्लापुरम को निशाना बनाते रहे. सांसद मेनका गांधी ने तो कह दिया कि मल्लापुरम आपराधिक वारदातों और सांप्रदायिक दंगो के लिए कुख्यात है.
केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़कर ने भी मल्लापुरम का जिक्र करते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की.
2 जून को ये खबर एनडीटीवी और न्यूइंडियन एक्सप्रेस ने सबसे पहले ब्रेक की थी. और दोनों ने ही अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि ये घटना मल्लापुरम की है. ये भी दावा किया गया कि विस्फोटक को अनानास में भरकर हथिनी को खिलाया गया जिससे उसकी मौत हो गई. हथिनी उस समय गर्भवती थी.
30 मई को केरल के फ़ॉरेस्ट विभाग में काम करने वाले एक कर्मचारी मोहन कृष्णम ने अपने फेसबुक पेज पर इस घटना के बारे में एक भावानात्मक पोस्ट लिखी थी. साथ में हथिनी के फोटो भी उन्होने अटैच किए थे. एनडीटीवी और न्यूइंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में उस पोस्ट का हवाला दिया है. मलयालम में लिखी इस पोस्ट को आप यहां देख सकते हैं.
रिपब्लिक टीवी, टाइम्स नाऊ, इंडिया टुडे, हिन्दुस्तान टाइम्स, सहित कई अन्य टीवी चैनलों ने भी घटना की जगह मल्लापुरम बताई.
क्या ये घटना मल्लापुरम ज़िले में हुई ?
ये घटना मल्लापुरम जिले में नहीं हुई थी. फॉरेस्ट विभाग के अधिकारियों के अनुसार ये घटना केरल के पलक्कड जिले की है. हथिनी साइलेंट वैली नेशनल पार्क से निकलकर घूमते-घूमते मन्नारकाड फॉरेस्ट डिवीजन में पहुंच गई थी. वहीं उसकी मौत हुई. ये दोनो जगह पलक्कड जिले में ही पड़ती हैं. हालांकि ये क्षेत्र मल्लाकरम और पलक्कड जिले की सीमा है लेकिन घटना पलक्कम जिले में हुई. कई न्यूज वेबसाइट और अखबारों ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा कि घटना पलक्कड में हुई है. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी ट्वीट करके ये जानकारी दी
बाद में एनडीटीवी और न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने भी अपनी स्टोरी में सुधार किया.
इंडिया चेक ने पलक्कड जिले के मनरकाड डिवीजन के फॉरेस्ट ऑफिसर के सुनील कुमार से बात की तो उन्होने बताया ‘गर्भवती हथिनी को 12 मई के आसपास कुछ स्थानीय लोगों ने साइलेंट नेशनल पार्क से निकलकर पास में ही केले और अनाननास के खेतों में जाते देखा था. लोगों ने उसे वहां से वापस भगाया लेकिन वो फिर वहीं आ गई.कुछ दिनों बाद हमें वो हमे मनक्कड में वेलियार नदी में खड़ी हुई दिखाई दी. उसका जबड़ा बुरी तरह टूटा हुआ था. इस बात की संभावना है कि उसने विस्फोटक से भरा फल खाया हो क्योंकि स्थानीय लोग फसल को जंगली जानवरों से बचाने के लिए फलों में विस्फोटक भरकर खेतों में रखते हैं. और जैसे ही जानवर उसको खाने की कोशिश करता है वो फट जाता है जिससे डरकर वो भाग जाते हैं. हालांकि ये गैरकानूनी है लेकिन राज्य में ये जंगली जानवरों को भगाने का सामान्य तरीका है. हमने जब उसे देखा तो वो गहरे दर्द में थी. उसका इलाज करने के लिए उसे वहां से निकालना जरूरी था. इसकी कोशिश की गई लेकिन 27 मई को वहीं उसकी मौत हो गई.
प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार हथिनी के मुंह और जबड़े बुरी तरह जख्मी थे. इसकी वजह विस्फोटक का ब्लास्ट हो सकती है. इसके परिणामस्वरूप उसे सेप्टिक इंफेक्शन हो गया और खाने पीने में असमर्थ हो गई. पिछले दो हफ्ते से उसने कुछ भी नहीं खाया था. इस वजह से वो कापी कमजोर हो गई थी. रिपोर्ट के अनुसार वो दर्द में राहत के लिए अपनी सूढ़ और मुंह पानी में डालकर खड़ी रही जिसकी वजह से उसके फेफड़ों में पानी भर गया था. यही उसकी मौत का मुख्य कारण था.
इस मामले में पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों की जांच में अबतक 3 आरोपियों के नाम सामने आए हैं. इनमें से विलसन नामके व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. बाकी दो अब्दुल करीम और उसका बेटा रियाजुद्दीन फरार है. अब्दुल करीम रबर इस्टेट का मालिक है जहां विल्सन काम करता था.
केरल में गर्भवती हथिनी की मौत को सांप्रदायिक रंग देने के हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. एक फेसबुक पोस्ट के आधार पर कुछ मीडिया संस्थानों ने गलत फैक्टस के साथ इसे रिपोर्ट किया. हालांकि जिसे बाद में सुधारा गया लेकिन सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथी ट्विटर हैंडल्स ने जिस तरह से इस मसले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की उससे साफ जाहिर है कि ये जानबूझकर, योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है. अभी इस पूरे मामले की जांच चल रही है.
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