सोशल एक्टिविस्ट हर्ष मंदर की दो अधूरी वीडियो क्लिप वायरल है. एक वीडियो क्लिप जामिया विश्वविद्यालय के बाहर उनके भाषण की है. दूसरी एक प्रेस कांफ्रेंस की है. दोनों वीडियो क्लिप अलग-अलग समय की हैं. और दोनों के बारे में दावा किया जा रहा है कि हर्ष मंदर ने लोगों को हिंसा के लिए भड़काया और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ नफरत वाली भाषा बोली.
पहली वीडियो क्लिप
ये वीडियो क्लिप 16 दिसंबर को जामिया मिलिया इस्लामिया के बाहर दिए हर्ष मंदर के भाषण की है. जिसमें वो कह रह रहे हैं ‘’ ये लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में भी नहीं जीती जाएगी. हमने सुप्रीम कोर्ट को देखा है. NRC, अयोध्या, कश्मीर के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इंसानियत, समानता और सेकुलरिज्म की रक्षा नहीं की है. वहां हम कोशिश ज़रूर करेंगे. हमारा सुप्रीम कोर्ट है लेकिन फैसला ना सुप्रीम कोर्ट में होगा ना संसद में होगा. इस देश का क्या भविष्य होगा. आप लोग सब नौजवान हैं. आप अपने बच्चों को किस तरह का देश देना चाहते हैं? ये फैसला कहां होगा ? एक सड़कों पर होगा और हम लोग सब सड़कों पर निकले हैं.’’ 55 सेकेंड की वीडियो क्लिप यहीं खत्म हो जाती है. इस वीडियो क्लिप को बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने अपने ट्विटर हैंडल से पोस्ट किया है. मालवीय ने इस क्लिप को पोस्ट करते हुए दावा किया हर्ष मंदर ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ नफरत भरी भाषा बोली और हिंसा को बढ़ावा दिया.
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी इसी क्लिप को पोस्ट किया. कैप्शन में लिखा…
दूसरी क्लिप
ये वीडियो क्लिप हर्ष मंदर की एक प्रेस कांफ्रेंस की है. इस वीडियो क्लिप को भी बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने पोस्ट किया है.मालवीय दावा करते हैं हर्ष मंदर की एक औऱ वीडियो क्लिप सामने आई है जिसमें वो सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों पर इसलिए जहर उगल रहे हैं कि वो उनके मनमुताबिक नहीं थे. ये खतरनाक है. ये भी 45 सेकेंड की एक अधूरी क्लिप है जिसमें मंदर कहते हुए सुनाई देते हैं ‘’अयोध्या जजमेंट, कश्मीर, कश्मीर में बंदी प्रत्यक्षीकरण, अलीगढ़ और जामिया में छात्रों की पिटाई की याचिकाओं पर जिस तरह का रवैया रहा मुझे लगता है कि हाल के महीनों और सालों में देश के अल्पसंख्यकों को उन्होने बार-बार निराश किया है. इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. मुझे नहीं लगता कि इस मसले का हल सही तरीके से होगा.मुझे लगता है तीसरी जगह जहां इसका समाधान संभव है वो है सड़क . और ये लड़ाई उस तरीके से लड़ी जा रही जो हमे प्रेरित कर रहा है.”
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गौरतलब है कि हर्ष मंदर ने दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली हिंसा को भड़काने के लिए बीजेपी नेताओं कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा पर भड़काऊ भाषण देने के मामले मे FIR दर्ज करने की मांग करते हुए एक याचिका डाली थी. याचिका में उन्होने दिल्ली दंगों के जांच की भी मांग की थी. हाईकोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई नहीं की तो उन्होने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हर्ष मंदर पर ही भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया. जिसकी वजह से कोर्ट ने उनसे सफाई देने को कहा. दिल्ली पुलिस की तरफ से भी सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया गया जिसमें मंदर पर सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी करने औऱ हिंसा को भड़काने की बात कही गई. फिलहाल शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 15 अप्रैल तक टाल दी है.
इसी बीच ये दोनों वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हैं.
फैक्ट चेक
पहली क्लिप
16 दिसंबर को हर्ष मंदर का पूरा भाषण हमने सुना. ये भाषण लगभग 7 मिनट 35 सेकेंड का है. आपको बता दें कि एक दिन पहले यानि 15 दिसंबर को जामिया मिलिया के अंदर पुलिस कार्रवाई की घटना हुई थी. छात्र नए नागरिकता कानून और NRC के खिलाफ वहां प्रदर्शन कर रहे थे.
मंदर ने अपने भाषण की शुरूआत में कहा ‘’ये लड़ाई पहले हमारे देश फिर संविधान और उसके बाद मोहब्बत के लिए है. इस सरकार ने ललकार और जंग छेड़ा है वो केवल मुसलमानों के लिए नहीं है बल्कि ये खिलाफ है देश की उस कल्पना की जो आजादी के समय सोची गई थी कि हम ऐसा देश बनाएंगे जहां इस बात का फर्क नहीं होगा कि हम किस भगवान को मानते हैं या उस अल्लाह को मानें या किसी को ना मानें. कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि आप किस जाति के है, आप कौन सी भाषा बोलते हैं.आप गरीब हैं कि अमीर हैं, औरत हों या मर्द हैं. आप हर तरह से बराबर के इंसान हैं, बराबर के नागरिक हैं इस देश के. इस देश पर आपका उतना ही हक है जितना किसी और का.’’
इसके बाद वो अपने भाषण में बीजेपी पर बिना नाम लिए हमला बोलते हैं कि जिन्होने आजादी की लड़ाई में कभी हिस्सा नहीं लिया वो लोग सवाल पूछ रहे हैं. इसके बाद वो इस लड़ाई को संविधान की आत्मा को बचाने की लड़ाई बताते हैं. और सभी राजनैतिक दलों को निशाने पर लेते हुए कहते हैं कि ये लड़ाई संसद में नहीं जीती जा सकती क्योंकि जो दल खुद को सेकुलर कहते हैं उनमे लड़ाई लड़ने का नैतिक साहस नहीं है. फिर वो वही बात कहते हैं जो वायरल क्लिप में है. ‘’ ये लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में भी नहीं जीती जाएगी. हमने सुप्रीम कोर्ट को देखा है. NRC, अयोध्या, कश्मीर के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इंसानियत, समानता और सेकुलरिज्म की रक्षा नहीं की है. वहां हम कोशिश ज़रूर करेंगे. हमारा सुप्रीम कोर्ट है लेकिन फैसला ना सुप्रीम कोर्ट में होगा ना संसद में होगा. इस देश का क्या भविष्य होगा. आप लोग सब नौजवान हैं. आप अपने बच्चों को किस तरह देश देना चाहते हैं. ये फैसला कहां होगा, एक सड़कों पर होगा और हम लोग सब सड़कों पर निकले हैं.’’ वायरल क्लिप अचानक यहीं खत्म हो जाती है. उनकी बात पूरी नहीं होती. आगे जो वो कहते हैं वो इसी से जुड़ा हुआ है. वायरल क्लिप के आखिरी वाक्य से आपको हम बताते हैं कि आगे उन्होने क्या कहा. . ‘’ये फैसला कहां होगा एक सड़को पर होगा और हम सब सड़कों पर निकले हैं. लेकिन सड़कों से भी बढ़कर एक औऱ जगह पर इसका फैसला होगा. कौन सी जगह पर इसका फैसला जहां सबसे ज्यादा होगा वो है आपके दिलों में ,मेरे दिल में. आपके दिल में अगर वो नफऱत भरना चाहते हैं, हम उसका जवाब अगर नफरत से ही देंगे तो नफरत और गहरी ही होगी. अगर देश में कोई अंधेरा कर रहा है और हम लोग कहेंगे कि हम और अंधेरा करेंगे तो अंधेरा तो और गहरा ही होगा. अगर अंधेरा है तो उसका सामना सिर्फ चराग जलाने से होगा. पूरी बड़ी आंधी है उसमें हम अपना चराग जलाएंगे उसी से अंधेरा खत्म होगा. इसलिए उनके नफरत का जवाब हमारे पास सिर्फ एक ही है. और वो है मोहब्बत.” कारवां-ए-मोहब्बत ने हर्ष मंदर के पूरे भाषण की 2 मिनट 12 सेकेंड की वीडियो क्लिप अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर की है.
मंदर इसके आगे बोलते हैं ”वो हिंसा करेंगे वो हिंसा के लिए हमे भड़काएंगे, हम हिंसा कभी नहीं करेंगे. आप ज़रूर समझिए क्योंकि ये एक साज़िश है, आपको वो हिंसा के लिए भड़काएंगे हम भड़केंगे नहीं. हम 2 प्रतिशत तक हिंसा करेंगे वो 100 प्रतिशत तक जवाब देंगे. गांधी जी से हमने सीखा है कि हिंसा का और नाइंसाफी का जवाब हमे अहिंसा से देना है. जो भी आपको हिंसा और नफरत के लिए भड़काए आपका साथी नहीं है’’ इसके बाद वो संविधान जिंदाबाद के नारे लगवाते हैं और ये भाषण खत्म हो जाता है. 7 मिनट 35 सेकेंड का पूरा भाषण आप यहां देख सकते हैं.
दूसरी क्लिप
हर्ष मंदर की वायरल क्लिप उनके एक प्रेस कांफ्रेस की है जिसमें वो CAA, NRC ,NPR पर बात करते हैं. अपने संबोधन में वो इन तीनों से होने वाली दिक्कतों के बारे में बताते हैं. इस पूरी प्रेस 3 जनवरी को यूट्यूब पर अपलोड की गई है. करीब 8 मिनट से कुछ ऊपर ये वीडियो है.
इसमें भी वो लगभग वही बात कहते हैं जो 16 दिसंबर को दिए अपने भाषण में कहते हैं. शुरू में वो राजनैतिक दलों को आड़े हाथ लेते हैं. फिर वो कहते हैं कि संसद में ये मसला नहीं हल हो सकता. इसके बाद वो न्यायिक व्यवस्था पर बात करते हैं.करीब 2 मिनट 11 सेकेंड पर आप ये सुन सकते हैं. वो कहते हैं ‘’दूसरी जगह जहां ये मसला हल हो सकता है…वो हैं हमारा उच्चतम न्यायालय, जहां हमे जाना चाहिए. मैं उन कई याचिकाकर्ता में से हूं जिन्होने सुप्रीम कोर्ट में CAA को चैलेंज किया. मै कहना चाहूंगा कि हाल के दिनो में सुप्रीम कोर्ट का रवैया जो कि लोकतंत्र में बहुंसंख्यकों के लिए महत्वपूर्ण है कि वो बहुसंख्यकवाद में ना तब्दील हो. सुप्रीम कोर्ट और जुडीशियरी का रोल बहुत अहम है , मुझे लगता है कि उन्होने भारत के अल्पसंख्यकों को निराश किया है.’’ इसके तुरंत बाद वाला हिस्सा वायरल क्लिप में है जिसमें वो सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की आलोचना करते हैं. 45 सेकेंड चलने के बाद जहां अचानक वायरल क्लिप खत्म होती है उसकी आखिरी लाइन से हम आपको आगे का हिस्सा बताते हैं कि उन्होने क्या कहा. करीब 3 मिनट 28 सेकेंड पर आप इसे सुन सकते हैं. वो कहते हैं ”तीसरी जगह सड़क है जहां ये मसला हल हो सकता है औऱ लड़ाई लड़ी जा रही है जिस तरीके से ये लड़ाई हम लड़ रहे हैं वो हमे प्रेरित कर रही है. लेकिन मुझे लगता है कि चौथी जगह भी है जहां ये लड़ाई जीती जा सकती है वो जगह है हमारा और आपका दिल. अगर हम नफरत फैलाएंगे तो हम वही करेंगे जो सत्ता चलाने वाले लोग पिछले 5-6 साल से कर रहे हैं, मुझे लगता है कि आखिर में इसका समाधान जैसा मैंने कहा ना तो संसद में है, ना कोर्ट में है और ना ही सड़क पर है बल्कि हमारे दिलों में है. औऱ मुझे लगता है कि यही वो जगह है जहां हम सबको अपनी लड़ाई लड़नी है.” इसके बाद वो महात्मा गांधी की बात करते हैं. जिसमें वो उनके आंदोलन ‘सविनय अवज्ञा” की बात करते हैं. और फिर जनगणना और NPR पर अपने विचार व्यक्त करते हैं.
निष्कर्ष
हर्ष मंदर की दोनों वायरल वीडियो क्लिप अधूरी हैं. इसको लेकर जो दावे किए जा रहे हैं वो गुमराह करने वाले हैं. जामिया में उनका पूरा भाषण और प्रेस कांफ्रेंस सुनने पर वो कहीं भी हिंसा की बात नहीं करते हैं. बल्कि वो नागरिकता कानून के खिलाफ लड़ाई अहिंसा और मोहब्बत से लड़ने के लिए के लिए प्रेरित करते हैं. सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों की वो आलोचना ज़रूर करते हैं लेकिन ये आलोचना एक सीमा के भीतर की गई है.