‘’हमारे देश भारत का राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह सम्राट अशोक स्तंभ है जो सारनाथ से लिया गया है । जिस पर चार शेर चार दिशाओं में मुख किए हुए खड़े हैं और नीचे लिखा है सत्यमेव जयते लेकिन सुप्रीम कोर्ट के लोगों में बदलाव कर “यतो धर्मस्ततो जयः” लिख दिया गया …. आखिर ऐसा क्यों?’’ इन दिनों ये दावा लोग खूब कर रहे हैं. और साथ में एक तस्वीर भी शेयर कर रहे हैं जिसमें अशोक की लाट के नीचे लिखा है “यतो धर्मस्ततो जय”
ट्विटर पर कई लोगों ने इसे शेयर किया. वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने भी इसे पोस्ट किया लेकिन बाद में डिलीट कर दिया.आर्काइव पोस्ट यहां देख सकते हैं.
फेसबुक पर भी लोग इसे शेयर कर रहे हैं. और बता रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट का ध्येय वाक्य बदल गया है .
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पीएम मोदी की पंडित नेहरू की मूर्ति को नमन करते हुए तस्वीर झूठी है.
फैक्ट चेक
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट https://main.sci.gov.in/ खोलने पर ध्येय वाक्य के रूप में “यतो धर्मस्ततो जयः ” ही लिखा दिखाई देता है. आर्काइव करने वाली वेबसाइट ‘archive.is’ पर जब हमने सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के पुराने स्क्रीन शॉट ढूढ़ने शुरू किए तो हमे एक स्क्रीन शॉट 12 नवंबर 2019 का मिला. उसमें भी ध्येय वाक्य “यतो धर्मस्ततो जयः” ही लिखा हुआ है. इसे आप नीचे देख सकते हैं. आर्काइव तस्वीर आप यहां देख सकते हैं.
इसके बाद हमने सुप्रीम कोर्ट ककी पुरानी वेबसाइट supremecourtofindia.nic.in के स्क्रीन शॉट ढूढ़ने शुरू किये तो हमे बहुत सारे स्क्रीन शॉट मिले। सभी में ध्येय वाक्य यही था. साल 2012 का स्क्रीन शॉट आप नीचे देख सकते हैं. आर्काईव ऑरिजनल तस्वीर आप यहां देख सकते हैं.
केंद्र सरकार के पीआईबी फैक्ट चेक ने भी इस दावे को झूठा बताया है.
निष्कर्ष
सोशल मीडिया पर वायरल दावा कि सुप्रीम कोर्ट का ध्येय वाक्य बदल दिया गया है सही नहीं है. इसे कभी बदला ही नहीं गया. शुरू से ही सुप्रीम कोर्ट का ध्येय वाक्य “यतो धर्मस्ततो जयः” ही है. इसका अर्थ है जहां धर्म है वहां जीत है. इस श्लोक को महाभारत से लिया गया है. महाभारत में अर्जुन युधिष्ठिर को प्रेरित करने की कोशिश के दौरान कहते हैं कि विजय हमशा धर्म के पक्ष में ही रहती है और जहां कृष्ण हैं वहां धर्म हैं. ये पूरा श्लोक है ‘यतः कृष्णस्ततो धर्मो यतो धर्मस्ततो जयः’
दावा-सुप्रीम कोर्ट का ध्येय वाक्य ”सत्यमेव जयते” से “यतो धर्मस्ततो जयः” कर दिया गया है
दावा करने वाले- सोशल मीडिया यूजर
सच-दावा गलत है
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