अक्टूबर 2018 में फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने मंगलवार को कार्यकर्ता गौतम नवलखा को जमानत देने के लिए न्यायमूर्ति एस मुरलीधर की आलोचना में किए गए ट्वीट के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में बिना शर्त माफी मांगी है। अदालत में उनकी तरफ से एक हलफनामा दायर करके माफी मांगी गई. हलफनामे में कहा गया कि उन्होेने न्यायमूर्ति एस मुरलीधर के खिलाफ किए गए ट्वीट डिलीट कर दिए हैं. अदालत ने उनसे कहा है कि हलफनामा दायरकरके माफी माांगने का तरीका सही नहीं है. वो स्वंय उपस्थित होकर माफी मांगे.16 मार्च 2023 को उन्हे पेश होने का निर्देश दिया गया है. अग्निहोत्री ने अपने ट्वीट्स में कहा था कि न्यायाधीश मुरलीधर  भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में कार्यकर्ता गौतम नवलखा को राहत देने में पक्षपाती थे। अदालत ने विवेक अग्निहोत्री के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी। अवमानना के इस मामले में आनंद रंगनाथन और समाचार पोर्टल स्वराज्य पत्रिका का नाम भी सामने आया था। इस केस की सुनवाई जस्टिस सिद्धार्थ मर्दुल और तलवंत सिंह ने की।

समाचार एजेंसी ANI और Bar and Bench ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अग्निहोत्री ने अपने हलफनामे में कहा कि उन्होंने जज के खिलाफ अपने ट्वीट खुद डिलीट किए थे वहीं मंगलवार को जब मामले की सुनवाई की गई तो एमिकस क्यूरी के वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद निगम ने कहा कि अग्निहोत्री द्वारा प्रस्तुत किया गया हलफनामा गलत है क्योंकि ट्विटर के हलफनामे के अनुसार, अग्निहोत्री के ट्वीट को ट्विटर के द्वारा प्रतिबंधित/हटाया गया था।

सच क्या है ? 

जैसा कि दिल्ली हाईकोर्ट में पेश किए गए हलफनामे में फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने कहा कि ‘कार्यकर्ता गौतम नवलखा को जमानत देने के लिए अक्टूबर 2018 में जज एस मुरलीधर की आलोचना में किए गए ट्वीट को खुद उन्होंने डिलीट कर लिया था’ इस दावे की हकीकत जानने के लिए हमने अपनी पड़ताल शुरू की। हमनें गूगल पर “vivek agnihotri tweets on goutam navlakha” कीवर्ड से सर्च किया। 

इस दौरान हमें विवेक अग्निहोत्री द्वारा 2 डिलीट और ट्विटर इंडिया द्वारा 10 प्रतिबंधित किए गए कुल 12 डिलीटेड ट्वीट की एक थ्रेड दिखाई दी। इसमें पहले और दूसरे ट्वीट पर ‘लेखक द्वारा डिलीट किया गया ट्वीट’ स्पष्ट तौर पर लिखा है जबकि बाकी के 10 ट्वीट पर यह लिखा देखा जा सकता है कि अग्निहोत्री के ट्वीट्स को इंडिया ट्विटर ने विधिक मांग के चलते रोक दिया/प्रतिबंधित कर दिया।

ट्विटर पर विवेक अग्निहोत्री के द्वारा ट्वीट की गई थ्रेड में हमें उनका मूल ट्वीट नहीं मिला इसके लिए हमनें ट्विटर एडवांस सर्च की मदद से wincalender.com नामक एक वेबसाइट पर उनके मूल ट्वीट को खोज निकाला, यह ट्वीट 5 अक्टूबर 2018 को किया गया था। हालांकि अब यह ट्वीट, ट्विटर पर उपलब्ध नहीं है लेकिन उसका आर्काइव वर्ज़न इस वेबसाइट पर अब देखा जा सकता है। वेबसाइट पर उपलब्ध अन्य दो लोकप्रिय ट्वीट भी दिखाई दे रहे हैं।

इसके बाद हम ट्विटर के हेल्प सेन्टर पर यह जानने पहुंचे कि ट्वीट्स को प्रतिबंधित करने के लिए ट्विटर के मापदंड क्या हैं? 

इसमें कहा गया कि, “हमारा(ट्विटर) का लक्ष्य लागू स्थानीय कानूनों को ध्यान में रखते हुए उपयोगकर्ता की अभिव्यक्ति का सम्मान करना है।हमारी सेवाओं को हर जगह लोगों के लिए उपलब्ध कराने के हमारे निरंतर प्रयास में, यदि हमें किसी अधिकृत इकाई से वैध और उचित दायरे का अनुरोध प्राप्त होता है, तो समय-समय पर किसी विशेष देश में कुछ सामग्री तक पहुंच को रोकना आवश्यक हो जाता है। इस तरह की रोक उस विशिष्ट क्षेत्राधिकार तक सीमित होगी जिसने वैध कानूनी मांग जारी की है या जहां सामग्री को स्थानीय कानून का उल्लंघन करते पाया गया है।अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए पारदर्शिता महत्वपूर्ण है, इसलिए रोकी गई सामग्री के लिए हमारी नोटिस नीति है। सामग्री को रोकने का अनुरोध प्राप्त होने पर, हम तुरंत प्रभावित उपयोगकर्ताओं को सूचित करेंगे जब तक कि हमें ऐसा करने से प्रतिबंधित नहीं किया जाता।”

द सियासत डेली की एक रिपोर्ट में विवेक अग्निहोत्री के उस ट्वीट का भी जिक्र किया गया है जिस पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने अग्निहोत्री के खिलाफ अवमानना का केस दर्ज किया।

ट्विटर एडवांस की मदद से सर्च करने पर हमें विवेक अग्निहोत्री के द्वारा 30 नवंबर 2018 को किया गया ट्वीट मिला। अग्निहोत्री ने अपने इस ट्वीट में  ऑप इंडिया में प्रकाशित एक लेख को साझा किया, जिसकी हेडिंग है -“आनंद रंगनाथन के बाद, न्यायपालिका की आलोचना करने वाले विवेक अग्निहोत्री के ट्वीट को भारत में पढ़ने से रोका गया” अग्निहोत्री ने इस हेडिंग को अपने ट्वीट के कैप्शन में भी लिखा।

रिपोर्ट में अदालत के आदेश का एक हिस्सा आनंद रंगनाथन ने ट्वीट किया। इस आदेश में विवेक अग्निहोत्री के ट्वीट उसी अदालती आदेश के आधार पर भारत में रोके गए हैं जिस आधार पर आनंद रंगनाथन के ट्वीट्स को रोका गया था।

निष्कर्ष

दिल्ली उच्च न्यायालय में विवेक अग्निहोत्री का अपने हलफनामे में यह कहना कि ‘न्यायमूर्ति एस मुरलीधर की आलोचना में किए गए ट्वीट उन्होंने स्वयं डिलीट किए थे’ झूठ है। अग्निहोत्री ने 30 नवंबर 2018 को ऑप इंडिया के लेख को शेयर करते हुए इस बात की पुष्टि कर दी कि उनके ट्वीट्स को ट्विटर इंडिया द्वारा ही रोका गया था। 

दावा – 2018 में भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में कार्यकर्ता गौतम नवलखा को राहत देने के लिए न्यायधीश एस मुरलीधर की आलोचना में विवेक अग्निहोत्री के द्वारा किए गए ट्वीट उन्होंने स्वयं डिलीट किए थे।

दावा करने वाला – फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री

सच – दावा गलत है

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