ट्विटर पर एक प्रोफाइल है नितिन शुक्ला के नाम से. इस प्रोफाइल से 14 मई को दो वीडियो शेयर किए गए. दोनों वीडियो के बारे में झूठी जानकारी बताकर दो संप्रदायों के बीच नफरत फैलाने की कोशिश की गई.
पहला वीडियो
वीडियो में बुजुर्ग व्यक्ति को एक शख्स पीट रहा है. बुजुर्ग के शरीर पर कपड़े नहीं हैं. इस वीडियो के बारे में नितिन शुक्ला ने दावा किया ‘पालघर संयोग नही प्रयोग था, अब अलग अलग जगह साधुओं की लीनचिंग की जा रही है, मारने वाले मुसलमान हैं, कल आपका नंबर आने वाला है? ये सब आपको घर मे घुस कर मरेंगे? दिल्ली की तरह? बचना है तो इन आतंकवादियों को जेल भिजवाओ, मामला Lane C-15, Turner Road, Dehradun का मालूम पड़ता है’’
1600 से ज्यादा लोग अब तक इसे रिट्वीट कर चुके हैं.
दूसरा वीडियो
इसमें एक शख्स को कुछ लोग पीट रहे हैं. नितिन शुक्ला का दावा है कि बंगाल में रोहिंग्या एक हिन्दू को पीट रहे हैं. वीडियो के साथ पूरा कैप्शन है ”फिर कहता हूं पालघर संयोग नहीं प्रयोग था, साधुओं के बाद आम जनता की लिनचिंग शुरू हो गई है, ये वीडियो बंगाल का बताया गया है कि रोहिंग्या स्थानीय निवासियों जो कि हिन्दू है को पकड़कर हांथ पांव तोड़ रहे हैं , कल आपकी बारी हो सकती है”
1000 से ज्यादा लोग इसे रिट्वीट कर चुके हैं.
नितिन शुक्ला कौन है ?
ट्विटर पर लिखी प्रोफाइल के अनुसार ये खुद को इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट बताते हैं. इसी नाम से एक यूट्यूब चैनल भी है इनका. इस चैनल के करीब डेढ़ लाख सब्सक्राइबर हैं. ट्विटर पर इनके करीब 12 हजार 500 फॉलोअर हैं, टाइमलाइन देखने से पता चलता है कि इनकी ज्यादातर पोस्ट सांप्रदायिक एंगल पर रहती हैं.
यूट्यूब चैनल पर ये खुद एंकरिंग करते हैं और सरकार की आलोचनाओं को जमकर डिफेंड करते हैं. साथ ही मुसलमानों के खिलाफ अभियान चलाते हैं.पालघर की घटना को भी ये लगातार सांप्रदायिक रंग देने की कोसिश कर रहे हैं.
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फैक्ट चेक
पहला दावा
ये वीडियो देहरादून का ही है. पोस्ट में देहरादून, साधू , पिटाई की-वर्ड के जरिए गूगल सर्च कराने पर तमाम परिणाम मिलते हैं . ये सारे परिणाम साल 2018 के हैं. उस समय भी ये वीडियो सांप्रदायिक रंग देते हुए वायरल हुआ था. देहरादून पुलिस ने इस संदर्भ में जानकारी देते हेए ट्वीट किया था कि ये फेक न्यूज फैलाई जा रही है. इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है.
वीडियो में दिख रहा व्यक्ति नागा साधू नहीं बहुरूपिया है जो नशे का आदी है. भीख मागंने के दौरान घर में घुसकर उसपर महिला से छेड़छाड़ करने का आरोप है. वीडियो में महिला का भाई इस व्यक्ति की पिटाई कर रहा है. महिला का परिवार भी हिन्दू है. बाद में इस व्यक्ति के खिलाफ महिला पुलिस में मामला दर्ज करा देती है.
इस वीडियो को उस दौरान इमाम ऑफ पीस, फिल्म एक्ट्रेस कोइना मित्रा सहित तमाम लोगों ने सांप्रदायिक रंग देते हुए ट्वीट किया था.
दूसरा दावा
इस वीडियो को हाल ही में ऑल्ट न्यूज ने फैक्ट चेक किया है. ऑल्ट न्यूज के अनुसार वीडियो एक साल पुराना है. इसका हाल की घटनाओं से कोई संबंध नहीं है. फेसबुक पर बांगलादेश के कई पेजों पर इसे पोस्ट किया गया है. 24 मार्च 2019 को फेसबुक पेज ‘News media Bangla’ पर ये वीडियो नीचे देख सकते हैं.
बांग्ला भाषा में लिखे इसके कैप्शन के अनुसार ऑटो चुराने वाले एक व्यक्ति की बुरी तरह पिटाई की जा रही है. इस वीडियो के बांग्लादेश के होने की संभावना हो सकती है.
निष्कर्ष- दोनों वीडियो जानबूझकर सांप्रदायिक माहोल बिगाड़ने और दो समुदायों के बीच नफरत फैलाने के उद्देश्य से फैलाए गए लगते हैं. इस ट्विटर हैंडल और यूट्यूब से खास तरह के एजेंडे को पूरा करने की कोशिश दिखाई देती है. ध्यान रखिए कि ऐसी कोई भी साजिश देश और समाज के लिए घातक है. ऐसी किसी भी पोस्ट को शेयर या लाइक ना करें.