15 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ को तीन हमलावरों द्वारा गोली मार दी गई जिसकी वजह से घटनास्थल पर ही दोनों की मृत्यु हो गई। तीनों हमलावरों को तुरंत घटनास्थल से गिरफ्तार किया गया। यह घटना तब हुई जब अनिवार्य चिकित्सा के लिए यूपी पुलिस अतीक को प्रयागराज के स्थानीय कोल्विन अस्पताल लेकर जा रही थी।
घटना के एक दिन बाद 16 अप्रैल, 2023 को समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया(PTI) ने एक लेख प्रकाशित करते हुए दावा किया कि, “2008 में यूपीए सरकार के द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में अतीक अहमद के महत्वपूर्ण वोट ने यूपीए सरकार को गिरने से बचाया था” । पीटीआई ने यह दावा करते हुए पत्रकार राजेश सिंह की किताब “बाहुबली ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स: फ्रॉम बुलेट टू बालोट” का हवाला दिया। पीटीआई ने अपने लेख में बताया कि कैसे गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद को उन बाहुबलियों में से एक थे जिन्होंने यूपीए सरकार को 2008 में गिरने से बचाया था। आगे कहा गया कि, अतीक अहमद ने विश्वास प्रस्ताव के दौरान यूपीए सरकार को वोट किया था जोकि प्रयागराज के फूलपुर निर्वाचन क्षेत्र से सांसद था”। पीटीआई ने बताया कि वोट से 48 घंटे पहले सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने जुलाई 2008 में एक विश्वास मत में यूपीए सरकार को अपना समर्थन देने के लिए “देश के सबसे प्रमुख संदिग्ध कानून तोड़ने वालों में से छह” को छोड़ दिया गया था।
पीटीआई ने यह दावा करते हुए पत्रकार राजेश सिंह की किताब “बाहुबली ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स: फ्रॉम बुलेट टू बैलेट” का हवाला दिया.इसके बाद कई मीडिया संस्थानों ने पीटीआई के हवाले से इस लेख को प्रसारित किया।
इसमें एनडीटीवी , फ़र्स्टपोस्ट, इंडिया टुडे, अमर उजाला , एबीपी लाइव , एशियानेट, आज तक ,जनसत्ता और ऑपइंडिया और अन्य संस्थान शामिल हैं
दावे का सच क्या है ?
दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने कुछ कीवर्ड्स को गूगल पर सर्च किया। इस दौरान हमें जुलाई 2008 में प्रकाशित हिन्दुस्तान टाइम्स, जी न्यूज़ और इंडिया टुडे की कुछ रिपोर्ट्स मिलीं। इनमें बताया गया कि 2008 में तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा लोकसभा में लाए गए विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने के लिए व्हिप की अवहेलना करने पर समाजवादी पार्टी ने अपने 6 सांसदों को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक निष्कासित किए गए सांसदों ने विश्वास प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के खिलाफ क्रॉस वोटिंग की थी।
पार्टी से निकाले गए सांसदों में जय प्रकाश (मोहनलालगंज), एसपी सिंह बघेल (जलेसर), राजनारायण बुधोलिया (हमीरपुर), अफजाल अंसारी (गाजीपुर), अतीक अहमद (फूलपुर) और मुनव्वर हुसैन (मुजफ्फरनगर) शामिल हैं।यह जानकारी नई दिल्ली में एक कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए समाजवादी पार्टी के तत्कालीन महासचिव अमर सिंह ने दी थी। इंडियन एक्सप्रेस की आर्काइव रिपोर्ट भी यही जानकारी देती है।
हमनें लोकसभा की वेबसाइट पर उपलब्ध रिकॉर्ड देखें।जिसमें बताया गया कि 22 जुलाई, 2008 को सदन ने ‘‘प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा पेश किए गए मंत्रिपरिषद में विश्वास प्रस्ताव पर आगे की चर्चा की।’’
यहां उपलब्ध एक पीडीएफ फाइल(डाक्यूमेंट) को खोलने पर हमें प्रस्ताव के पक्ष-विपक्ष में मतदान करने वालों के नाम की सूची मिली। डाक्यूमेंट में पृष्ठ संख्या 112 पर विश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने वाले 10 सांसदों में अतीक अहमद का नाम भी शामिल है।(अतीक अहमद का नाम डाक्यूमेंट में ‘Noes’ लिस्ट में यानी खिलाफ मतदान करने वालों में शामिल है) अतीक सपा के उन छह सांसदों में शामिल थे, जिन्हें व्हिप का उल्लंघन करने पर पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। वहीं यूपीए सरकार ने दो दिनों की बहस के बाद, 275 मतों के साथ प्रस्ताव जीता, जबकि 256 सांसदों ने 22 जुलाई, 2008 को इसके खिलाफ मतदान किया।
19 अप्रैल को टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें बताया कि कैसे गैंगस्टर अतीक अहमद एक दलबदल थे जिन्होंने अपने करीबी समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव को 2008 में, 22 जुलाई को अमेरिका के साथ परमाणु समझौते के मुद्दे पर यूपीए सरकार के खिलाफ वोट करके धोखा दे दिया था।रिपोर्ट में बताया गया
तब अतीक हत्या के एक मामले में मैनपुरी जेल में बंद थे। अदालत के आदेश पर, उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच संसद के दो दिवसीय विशेष सत्र में भाग लेने के लिए दिल्ली लाया गया ताकि वे विश्वास मत में भाग ले सकें। पार्टी के व्हिप के बावजूद उन्होंने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया।सपा के 39 सांसदों में से छह ने सरकार के खिलाफ मतदान किया था।
PTI ने अपनी गलती मानते हुए बाद में एक और रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमे बताया गया कि अतीक अहमद ने यूपीए सरकार के खिलाफ वोट दिया था.
निष्कर्ष
लोकसभा डीजिटल लाइब्रेरी के दस्तावेजों(डाक्यूमेंट्स) के अनुसार अतीक अहमद ने 2008 में यूपीए सरकार के द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया था जिस कारण अतीक सहित 6 सांसदों को समाजवादी पार्टी द्वारा निष्कासित किया गया था।
दावा – 2008 में यूपीए सरकार के द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट करके तत्कालीन फूलपुर सांसद अतीक अहमद ने यूपीए सरकार को गिरने से बचाया था
दावा किसने किया – समाचार एजेंसी पीटीआई एवं अन्य मीडिया संस्थानों ने
सच – दावा झूठा है
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