चीन ने यूएन में तर्क दिया है कि अगर भारत का विपक्ष ही मसूद को आतंकवादी नहीं मानता तो हम कैसे मानें ।
चीन की तरफ से ये बयान सोशल मीडिया पर वायरल है। उत्तराखंड भाजपा मित्रगण समूह और देशहित की बात जैसे फेसबुक पेजों पर इसे शेयर किया गया है। साथ में ये भी लिखा है कि ”डूब मरो चुल्लू भर पानी में देशद्रोहियों’। एक पर 112 और दूसरे पर ख़बर लिखे जाने तक 1056 शेयर किये जा चुके हैं।
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सच की पड़ताल
पुलवामा में हुई आतंकवादी घटना की ज़िम्मेदारी लेने के बाद मसूद अज़हर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने की मांग भारत ने युनाइटेड नेशन से की थी। अमेरिका, फ्रांस औऱ ब्रिटेन ने 27 फरवरी को इस प्रस्ताव को सिक्युरिटी काउंसिल में रखा था। लेकिन चीन ने अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल करते हुए इसे रद्द कर दिया था। ज़्यादा जानकारी के लिए आप यहां पढ़ सकते हैं।
चीन का बयान
यूएन सिक्युरिटी काउंसिल की 1267 कमेटी के पास आतंकवादी संगठनों और उसके सदस्यों को लिस्ट करने की पारदर्शी प्रक्रिया है। संबधित देशों द्धारा लिस्ट करने की याचिका का चीन बहुत गहराई औऱ विस्तृत अध्ययन कर रहा है। हमें कुछ औऱ समय की ज़रूरत है इसलिए हमने इसे तकनीकि रूप से रोकने का फैसला किया है। ये 1267 कमिटी के नियमों की प्रक्रिया के तहत ही है। हम उम्मीद करते हैं कि 1267 कमिटी द्धारा की गई इस कार्रवाई से संबधित देशों को बातचीत और सलाह के ज़रिए इस मुद्दे को सुलझाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा क्षेत्रीय शांति और स्थायित्व जैसे मसलों को और जटिल बनाने से रोकना संभव होगा। चीन सभी संबधित पक्षों के साथ इस मसले को ज़िम्मेदारी के साथ सुलझाने के लिए बातचीत जारी रखेगा।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की 14 मार्च को हुई प्रेस कांफ्रेंस में मसूद अज़हर के मसले पर बयान यहां देख सकते हैं।
हमरी जांच में चीन का वायरल हुआ ये बयान फर्ज़ी है। उसने यूएन में यह तर्क नहीं दिया कि अगर भारत का विपक्ष मसूद को आतंकवादी नहीं मानता तो हम कैसे मानें।
निष्कर्ष
दावा- चीन ने यूएन में तर्क दिया है कि अगर भारत का विपक्ष ही मसूद को आतंकवादी नहीं मानता तो हम कैसे मानें ।
दावा करने वाले- फेसबुक पेज
दावे का सच- यह दावा पूरी तरह झूठा है।