हैदराबाद से AIMIM सांसद असद्उदीन ओवैसी ने मुंबई में दिए भाषण में इंडिया गेट पर लिखे गए शहीदों के बारे में एक दावा किया। ये दावा था “मैने इंडिया गेट पर हिंदुस्तान की आज़ादी के लिए अपनी जान देने वालों के नाम देखे. इन शहीदों कि संख्या 95,300 है. इनमें से 65 फीसदी मुसलमान हैं” इस महीने की 13 जुलाई को ओवैसी ने मुंबई ये दावा किया था.
फेसबुक और ट्विटर पर ये दावा किया जाता रहा है. हाल में भी इसे सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है.
हाल में सोशल मीडिया पर किए गए इस दावे को आप यहां और यहां देख सकते हैं. इसके अलावा 2018 में भी ये दावा खूब वायरल हुआ.
इसे आप यहां देख सकते हैं.
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दिल्ली सरकार की वेबसाइट के अनुसार 1931 में इंडिया गेट का निर्माण हुआ था. इसका डिज़ाइन इडियन लुटियन ने 1921 में तैयार किया था और 10 साल बाद वायसराय लार्ड इरविन ने इसका उदघाटन किया था. इसका मतलब ये है कि इंडिया गेट पर लिखे शहीदों के नाम का भारत की आज़ादी से कोई संबंध नहीं है. दरअसल ब्रिटिश शासन के दौरान बहुत सारे भारतीयों ने दुनिया के कई देशों में ब्रिटिश हुकूमत के लिए युद्ध लड़े थे. इनमें जो भारतीय शहीद हुए थे उनके नाम इंडिया गेट पर लिखे गए हैं. वेबसाइट के मुताबिक 13516 भारतीय सैनिकों के नाम इस पर खुदे हुए हैं.
अगर आप इस तस्वीर में इंडिया गेट को गौर से देखे तो सबसे ऊपर लिखा है ‘INDIA’. एक तरफ लिखा है 1914 और दूसरी तरफ 1919. इसके अलावा उन जगहों के नाम भी लिखा है जहां भारतीय सैनिक शहीद हुए. इनमें फ्रांस, मेसोपोटैमिया, फारस, पूर्वी अफ्रीका का नाम दर्ज है. इसके अलावा दुनिया भर में युद्ध में शहीद होने वाले सैनिकों का लेखा जोखा रखने वाली वेबसाइट कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स कमीशन में भी इसकी जानकारी दी गई है. वेबसाइट के मुताबिक इंडिया गेट पर 13220 भारतीय सैनिकों के नाम लिखे हैं.
जांच में ये बात साफ हो गई कि ओवैसी का दावा सही नहीं है. लेकिन अब ये सवाल उठता है कि क्या ओवैसी सोशल मीडिया पर काफी दिनों से वायरल इस झूठी ख़बर के चक्कर में पड़ गए? इस संबंध में बीबीसी ने ओवैसी से बात की तो उन्होने बताया कि उन्होने ये तथ्य कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की किताब ‘VISIBLE MUSLIM, INVISIBLE CITIZEN’ में पढ़ा था. बीबीसी ने पाया कि खुर्शीद की इस किताब के 55-56 वें पेज पर यही तथ्य लिखा है जिसका ज़िक्र ओवैसी ने भाषण में किया. किताब में लिखा है कि 95 हज़ार से ज़्यादा स्वतंत्रता सेनानियों के नाम इंडिया गेट पर लिखे हैं, जिनमें 61 हज़ार से ज़्यादा मुसलमान हैं. जो लगभग 65 फीसदी होता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार ये तथ्य गलत है.
इंडिया गेट पर 95 हज़ार से ज्यादा स्वंतंत्रता सेनानियों के नाम नहीं लिखे हैं. ये संख्या इतनी नहीं है. और इनका देश की आज़दी से कोई सरोकार नहीं था. औऱ दूसरी बात कि शहीदों को धर्म ,जाति या नस्ल के आधार पर किसी तरह का कोई रिकॉर्ड नहीं है. औऱ ना ही इस आधार पर इंडिया गेट पर नामों का वर्गीकरण किया गया है.
दावा- इंडिया गेट पर हिंदुस्तान की आज़ादी के लिए अपनी जान देने वालों इन शहीदों कि संख्या 95,300 है. इनमें से 65 फीसदी मुसलमान हैं
दावा करने वाले- असदउदीन ओवैसी औऱ सोशल मीडिया
सच- दावा ग़लत है
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