लोकसभा चुनाव अपने पूरे ज़ोर पर है। ऐसे में मतदान करने से संबधित एक जानकारी सोशल मीडिया पर वायरल है। इसमें मतदाता के लिए कुछ जानकारियां दी गईं हैं। अंग्रेजीं में शेयर के गए इस संदेश में तीन बातें कहीं गई हैं। नीचे लिखा है कि इसे ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करें क्योंकि सभी को अपने अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए।
1.अगर आपका नाम वोटिंग लिस्ट में नहीं है तो पोलिंग बूथ पर मौजूद अधिकारी को अपना आधार कार्ड यो वोटर आईडी कार्ड दिखाएं और चैलेंज वोट की मांग करके अपना वोट डालें। ये धारा 49 ए के अनुसार किया जा सकता है।
2.अगर आपका वोट पहले ही किसी ने डाल दिया है तो आफ टेंडर वोट की मांग करके अपना वोट डाल सकते हैं।
3.अगर टेंडर वोट की संख्या किसी पोलिंग बूथ पर 14 फीसद से ज़्यादा होती है तो वहां पर री- पोलिंग करवाई जा सकती है।
क्या है धारा 35 A औऱ उसका इतिहास?
पहला दावा- अगर आपका नाम वोटिंग लिस्ट में नहीं है तो पोलिंग बूथ पर मौजूद अधिकारी को अपना आधार कार्ड या वोटर आईडी कार्ड दिखाएं और चैलेंज वोट की मांग करके अपना वोट डालें। ये धारा 49 ए के अनुसार किया जा सकता है।
सच्चाई- चुनाव कराने के नियम 1961 के अनुसार धारा 49 ए का मतलब चैलेंज वोट से नहीं है। यह इलेक्ट्रनिक वोटिंग मशीन की डिज़ाइन से संबधित है। चैलेंज वोट को धारा 49 जे के तहत रखा गया है। इसके अनसार अगर पोलिंग बूथ पर मतदान एजेंट को किसी व्यक्ति पर ये शक होता है कि उसने किसी दूसरे का वोट डाला है तो वो उसे चैलेंज कर सकता है। पीठासीन अधिकारी इस मामले की जांच करता है।
निष्कर्ष- ये दावा गलत है
दूसरा दावा- अगर आपका वोट पहले ही किसी ने डाल दिया है तो आप टेंडर वोट की मांग करके अपना वोट डाल सकते हैं।
तथ्य- चुनाव नियमों के अनुसार अगर किसी मतदाता का वोट कोई दूसरा व्यक्ति डाल देता है तो भी वह अपना वोट डाल सकता है। इस प्रक्रिया को टेंडर वोट कहा जाता है। इसके लिए धारा 49 पी में एक व्यस्था की गई है। इस व्यवस्था के अनुसार पीठासीन अधिकारी अगर मतदाता के जवाब से संतुष्ट है तो उसे वोट डालने की अनुमति दी जा सकती है।
निष्कर्ष- दावा सही है
तीसरा दावा- अगर टेंडर वोट की संख्या किसी पोलिंग बूथ पर 14 फीसदी से ज़्यादा होती है तो वहां पर रीपोलिंग करवाई जा सकती है।
तथ्य-चुनाव आयोग के अनुसार मतदान केंद्र पर गड़बड़ी पाए जाने पर री-पोलिंग का फैसला ले सकता है लेकिन फैसला उसके विवेक के आधार पर होता है। इसमें किसी तरह के गड़बड़ी के प्रतिशत को लेकर कोई नियम नहीं है।
निष्कर्ष- 14 फीसदी का दावा गलत है।
अगर आपको चुनाव संबंधी जानकारी देखनी है तो आप यहां देख सकते हैं।
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