वरिष्ठ पत्रकार तवलीन सिंह की पोस्ट का स्क्रीन शॉट ( ट्विटर)

वरिष्ठ पत्रकार तवलीन सिह ने एक एंबुलेंस का वीडियो पोस्ट किया है. वीडियो में एंबुलेंस पुलिस के लगाए बैरिकेड पर रुकी हुई है.पोस्ट में वो दावा करती हैं ‘’दिल्ली के वीआईपी राजनेता के लिए पुलिस ने ये एंबुलेंस रोकी है जिसमें एक बच्चे को काफी गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया जा रहा था’’ इसके आगे वो लिखती हैं कि ‘’ये वीआईपी कल्चर कब खत्म होगा ?’’ ये वीडियो 1 मिनट 36 सेकेंड का है.

तवलीन सिंह की इस पोस्ट 2.5 हज़ार लोग रिट्वीट कर चुके हैं औऱ करीब 68 हज़ार लोग इस वीडियो को देख चुके हैं.इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्ज़न आप यहां देख सकते हैं

इसी तरह 14 सितंबर को यही वीडियो राहुल सिंह नामके  फेसबुक यूजर ने  पोस्ट किया .ये करीब 45 सेकंड लंबा है. वीडियो के साथ एक संदेश है जिसमें लिखा है ”भाजपा सांसद मनोज तिवारी के लिए दिल्ली पुलिस ने एंबुलेंस रोकी….
एम्बुलेंस में जिन्दगी और मौत से लड़ रही बच्ची थी .और अंत में बच्ची ने दम तोड़ दिया !आज आपने शेयर नही किया तो आपके साथ भी ये हो सकता है आज से whatsapp चलाना छोड़ दो या फिर ये वीडियो पूरी दुनिया मे भेज दो और आगे आपकी मर्जी” 

भाजपा सांसद मनोज तिवारी के लिए दिल्ली पुलिस ने एम्बुलेंस रोकी,….एम्बुलेंस में जिन्दगी और मौत से लड़ रही बच्ची थी .और अंत में बच्ची ने दम तोड़ दिया !आज आपने शेयर नही किया तो आपके साथ भी ये हो सकता है आज से whatsapp चलाना छोड़ दो या फिर ये वीडियो पूरी दुनिया मे भेज दो और आगे आपकी मर्जी है👇🏻👇🏻👇🏻👇🏻

Geplaatst door Rahul Singh Singh op Vrijdag 13 september 2019

इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्ज़न आप यहां देख सकते हैं. इस वीडियो को 4 हज़ार बार अब तक शेयर किया जा चुका है. वीडियो में लोगों की आवाज़े भी सुनाई देती हैं. एक व्यक्ति कहता है ”वीआईपी कल्चर की वजह से ये लोग एंबुलेंस को जाने नहीं दे रहे हैं. एंबुलेंस के भीतर खून से लथपथ एक बच्चा है. क्या आप लोग इस एंबुलेंस को जाने देंगे, या नेता प्रथमिकता हैं बीमार नहीं” लोग बोलते हुए सुनाई देते हैं ”इस एंबुलेंस को जाने दो” वहां मौजूद एक पुलिस कर्मी को आप सुन सकते हैं ”कृपया कुछ मिनट इंतज़ार करिए” फिर एक आदमी की आवाज़ सुनाई देती है ”बच्चे की मौत हो गई तो क्या होगा..कौन ज़िम्मेदार होगा”

यही वीडियो इसी संदेश के साथ सोशल मीडिया पर 6 महीने पहले भी वायरल हुआ था. 2 अप्रैल 2019 की एक फेसबुक पोस्ट का स्क्रीन शॉट आप नीचे देख सकते हैं. इसकी ऑरिजनल पोस्ट आप यहां देख सकते हैं. इसे अब तक 25 हज़ार बार देखा जा चुका है और 2.2 हज़ार बार शेयर किया जा चुका है.

फेसबुक पर वायरल 2 अप्रैल 2019 की पोस्ट का स्क्रीन शॉट
फेसबुक पर वायरल 2 अप्रैल 2019 की पोस्ट का स्क्रीन शॉट

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फैक्ट चेक

इस वीडियो को जब की-फ्रेम्स में तोड़कर हमने रिवर्स इमेज के ज़रिए सर्च किया तो हमें कई परिणाम मिले. इन परिणामों से पता चला कि ये वीडियो 2017 का है. एंबुलेंस को रोकने की वजह दिल्ली आए मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रज़क का काफिला था. और ये वाक्या दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम के पास का था. इस घटना को सभी प्रमुख अखबारों ने कवर किया था. सभी मीडिया रिपोर्ट में ये कहा गया था कि एंबुलेंस को रोकने की वजह मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब का काफिला था. अखबारों में पुलिस अधिकारी एमएस रंधावा का बयान भी छपा था जिसमें उन्होने कहा ”एंबुलेंस ट्रैफिक में फंस गई थी. मेरी टीम ने एंबुलेंस के लिए रास्ता खुलवाया और कुछ ही देर में वो वहां से निकल गई” आप इंडियन एक्सप्रेस की 5 अप्रैल 2017 को प्रकाशित इस रिपोर्ट को यहां पढ़ सकते हैं. अखबारों ने अपनी रिपोर्ट में प्रीत नरूला नामके एक युवक के शूट किए गए वीडियो के हवाले से ये रिपोर्ट लिखी थी. नरूला 1 अप्रैल 2017 को इसी जगह से गुजर रहे थे. और उस समय उन्होने इस घटना की फेसबुक पर लाइव स्ट्रीमिंग की थी. नरूला के इस वीडियो को आप नीचे देख सकते हैं. ये वही वीडियो जो आजकल सोशल मीडिया पर वायरल है और जिसे तवलीन सिंह ने पोस्ट किया. जो वीडियो वायरल है वो इससे थोड़ा सा छोटा है.

vips are more important then child in ambulance

Geplaatst door Preet Narula op Vrijdag 31 maart 2017

न्यूज एजेंसी AFP ने इस साल 11 अप्रैल के महीने में उस समय वायरल हुए इस वीडियो का फैक्ट चेक किया था.

निष्कर्ष

हमारी जांच के अनुसार ये घटना दिल्ली में इंदिरा गांधी स्टेडियम के पास 1 अप्रैल 2017 को हुई. बीजेपी सांसद मनोज तिवारी से इसका कोई लेना-देना नहीं है. मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रज़क के काफिले की वजह से एंबुलेंस को रोका गया था.

दावा- दिल्ली के एक राजनेता की वजह से एंबुलेंस का पुलिस ने रास्ता रोका. एंबुलेंस में खून से लथपथ बच्चे को अस्पताल ले जा रही था

दावा करने वाले- वरिष्ठ पत्रकार तवलीन सिंह और सोशल मीडिया यूज़र

सच- दावा गलत है. ये वीडियो 2017 का है. इससे दिल्ली के राजनेता का कोई मतलब नहीं है  

हमारी फैक्ट चेक स्टोरी में अगर आपको कोई गलती नज़र आती है तो आप हमें ज़रूर लिखें. हम अपनी गलतियों को स्वीकार करने के लिए पूरी तरह से हमेशा तैयार रहते हैं. आप हमें info@indiacheck.in या indiacheck1@gmail.com पर मेल कर सकते हैं. हम एक प्रक्रिया के तहत जांच करेंगे औऱ गलती पाए जाने पर स्टोरी को अपडेट करेंगे. आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. हमारा ट्विटर हैंडल है @indiacheck1

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