Fact-Check : पीएम मोदी को नोबेल शांति पुरस्कार का मजबूत दावेदार बतानी वाली तमाम मीडिया संस्थानों की खबर फेक हैं

नोबेल कमिटी के वाइस चेयरपर्सन एस्ले टोजे भारत आए हुए हैं। इस दौरान कई मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से एस्ले टोजे के द्वारा पीएम मोदी की प्रशंसा सुनने को मिली। उन्होंने वैश्विक पटल पर शांति स्थापित करने के लिए भारत के बढ़ते प्रयासों की सराहना की। इस बीच कई मीडिया संस्थानों ने टोजे के इस बयान को रिपोर्ट किया ,जिसमें उन्होंने कथित तौर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नोबेल शांति पुरस्कार को सबसे बड़े दावेदार बताया। यह भी दावा किया गया कि पीएम मोदी दुनिया के ‘सबसे भरोसेमंद’ और ‘सबसे विश्वसनीय’ नेता हैं ।वायरल दावे को भाजपा के कई बड़े चेहरों के अलावा RSS के मुखपत्र पांचजन्य द्वारा भी शेयर किया गया। मीडिया चैनलों के इस दावे को आप आर्काइव [ टाइम्स नाउ इकनॉमिक टाइम्स ,टाइम्स ऑफ इंडियाबिजनेस स्टैंडर्डदैनिक जागरणसीएनबीसी, ऑप इंडिया और एशियानेट ] में देख सकते हैं.टाइम्स नाऊ के संपादक राहुल शिवशंकर ने ट्वीट करके दावा किया ”नोबेल प्राइज़ कमेटी के डिप्टी लीटर एस्ले टोजे ने पीएम मोदी को नोबेल पीस प्राइज़ का सबसे बड़ा दावेदार बताया है.खुद को पीएम मोदी का बड़ा फ़ैन कहा. एस्ले ने कहा मोदी पूरी दुनिया में शांति का सबसे विश्वसनीय चेहरा है”

आरएसएस के मुखपत्र पाच्चजन्य ने भी यही दावा किया.

आर्काइव [ 1, 2, 3 ]

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मोदी को नोबेल पुरस्कार के दावे का सच

सबसे पहले 15 मार्च को एबीपी न्यूज़ की एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई जिसमें एस्ले टोजे से एबीपी न्यूज़ ने बातचीत की थी। इंटरव्यू को यूट्यूब पर 16 मार्च को अपलोड किया गया। एबीपी ने शीर्षक दिया – “क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिल सकता है शांति का नोबेल पुरस्कार?”

एस्ले टोजे ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की। लेकिन उन्होंने इस इंटरव्यू में कहीं पर भी ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए सबसे बड़ा दावेदार’ बताने वाला जि्क्र नहीं किया। पीएम मोदी को नोबेल पीस के सबसे बड़े दावेदार वाले सवाल को रिपोर्टर के कई बार घुमा-फिराकर भी पूछने पर भी टोजे कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं देते। हमें एबीपी न्यूज़ की ऑनलाइन रिपोर्ट और उसके यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध टोजे के इंटरव्यू में कुछ बातों में विभिन्नता देखने को मिली। जैसे रिपोर्टर, टोजे से पूछता है कि क्या भारत सुपर पॉवर बन सकता है?” तो टोजे इसका कोई सीधा-सीधा जवाब नहीं देते हैं। जबकि एबीपी ने अपनी रिपोर्ट में टोजे का हवाला देते हुए ‘भारत का सुपर पॉवर बनना तय’ बताया है।

एबीपी न्यूज़ ने अपनी रिपोर्ट का जो शीर्षक दिया उसका रिपोर्ट के कंटेंट से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है। यह शीर्षक कुछ गुमराह और सम्भावना जताने वाला है।

14 मार्च को इंडिया सेंटर फाउंडेशन (आईसीएफ) और इंटरनेशनल पीस एंड अंडरस्टैंडिंग (आईएफएफ) द्वारा एडीएम एंड पीस राउंड टेबल, शांति और विकास के द्वारा  एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। जिसमें ‘मौजूदा शोषक मॉडल से नए एडीएम मॉडल में परिवर्तन’ की आवश्यकता पर चर्चा करने के लिए नोबेल कमिटी आमंत्रित की गई थी। इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण Ten News India और Alternative Development Model पर किया गया जिसमें टोजे का उद्बोधन क्रमशः 24:30 से 30:45 और 40:00 से 46:25 पर समाप्त होता है हमने कार्यक्रम में टोजे से की गई प्रश्नोत्तरी को भी ध्यान से सुना लेकिन हमें इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सम्बंधित नोबेल पीस पर कोई भी सन्दर्भ सुनने को नहीं मिला। 

इसके अलावा 16 मार्च को प्रकाशित एएनआई की रिपोर्ट में भी ऐसी कोई बात नहीं कही गई। वहीं एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में एस्ले टोजे वायरल दावे(न्यूज़) को फेक बताते हुए कहा “मैं नोबेल समिति का उप नेता हूं। एक फर्जी समाचार ट्वीट भेजा गया था। और मुझे लगता है कि हमें इसे सभी फर्जी खबरों के रूप में लेना चाहिए। यह नकली है! आइए इस पर चर्चा न करें। आइए इसे ऊर्जा या ऑक्सीजन न दें। मैं स्पष्ट रूप से इनकार करता हूं कि मैंने उस ट्वीट से मिलता-जुलता कुछ भी कहा था।” 

हमें टाइम्स नाउ के द्वारा टोजे का लिया गए इंटरव्यू का वीडिया भी सुनने को मिला जिसमें टोजे वायरल दावे से संबंधित कोई भी बात नहीं कहते हैं फिर भी टाइम्स नाउ ने बकायदा वायरल दावे को सही मानते हुए अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की।

वहीं The New Indian के संस्थापक और कार्यकारी सम्पादक रोहन दुआ के पोर्टल ने भी टोजे का इंटरव्यू लिया। इस इंटरव्यू को ट्वीट करते हुए एक अलग कैप्शन देकर टोजे के हवाले से लिखते हैं, “भारत एक महाशक्ति है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के झगड़ों को सुलझाने के लिए समय दे रहे हैं और इसलिए नोबेल के दावेदार हैं तो यह कोई छोटी बात नहीं है”।

हालांकि इंटरव्यू में टोजे ने कहीं पर भी ऐसा नहीं कहा और ना ही उन्होंने ‘पीएम मोदी को नोबेल का दावेदार जैसी’ कोई सम्भावना जताई। ट्वीट के रिप्लाई में एक यूजर, दुआ से पूछता भी है कृपया मुझे इस वीडियो में वह जगह बताएं जहां वह(टोजे) कहते हैं  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नोबेल के लिए एक दावेदार हैं।

इससे स्पष्ट है कि कैसे न्यूज़ चैनल और सम्पादक एस्ले टोजे के प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा में दिए बयान को चढ़ा-बढ़ाकर पेश कर रहे हैं। 

टाइम्स नाउ के सम्पादक राहुल शिवशंकर ने बाद में अपने पहले वाले ट्वीट का खंडन किया. और लिखा, “नोबेल पुरस्कार समिति के उप नेता असल तोजे ने पीएम के वैश्विक शांति प्रयासों की प्रशंसा की है, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया है कि उन्होंने नोबेल शांति पुरस्कार के दावेदार के रूप में उनका समर्थन नहीं किया है।व्यापक रूप से रिपोर्ट किए जाने के बाद स्पष्टीकरण आता है कि उन्होंने ऐसा किया था”।

निष्कर्ष

नोबेल कमिटी के वाइस चेयरपर्सन एस्ले टोजे ने किसी भी इंटरव्यू में ये नहीं कहा कि पीएम नोबेल शांति पुरस्कार के प्रबल दावेदार हैं.टोजे ने खुद एएनआई को इंटरव्यू देते हुए वायरल दावे को फेक बताया है. इससे साबित होता है कि वायरल दावा झूठा और आधारहीन है।

दावा – नोबेल कमिटी के वाइस चेयरपर्सन एस्ले टोजे ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोबेल शांति पुरस्कार का सबसे बड़ा दावेदार बताया है

दावा किसने किया – मीडिया संस्थान, भाजपा नेता

सच – दावा झूठा है

Pratayksh Mishra

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