अनुच्छेद 370 पर प्रेसिडेंशियल ऑर्डर के बाद झूठी और गुमराह करने वाली ख़बरें, तस्वीर और वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हैं. INDIA CHECK ने 5 अगस्त के बाद से सोशल मीडिया पर कश्मीर के बारे में वायरल पांच वीडियोज़ का फैक्ट चेक किया है, जिनके बारे में अलग-अलग दावे किये गए हैं.
पहला वीडिया
इस वीडियो में मुस्लिम समुदाय के लोग भारत माता की जय के नारे लगा रहे हैं. कहा जा रहा है कि अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने के बाद कश्मीर में मुसलमानों ने भारत के समर्थन में नारे लगाए.
फैक्ट चेक
हमने इस वीडियो की खोज के लिए कुछ की-वर्डस का इस्तेमाल किया. 15 सेकेंड की यही वीडियो क्लिप हमे यूट्यूब पर मिली. इस वीडियो में मुस्लिम समाज की रैली निकल रही है जिसमें भारत के समर्थन में नारे लगाए गए.दरअसल ये वीडियो 22 फरवरी 2019 को अपलोड किया गया है. और इसे बंगलूरू में फिल्माया गया है. वीडियो सही है. लेकिन इसका कश्मीर से कोई ताल्लुक नहीं है. बोहरा मुसलमानों ने भारत के समर्थन में ये रैली निकाली थी.इसका वीडियो आप नीचे देख सकते हैं.
ट्विटर पर भी इसे काफी पहले अपलोड किया गया गया है.
अगर वीडियो को गौर से देखें तो बिल्डिंग पर बुरहानी फ्लोरा लिखा है.गूगल मैप पर सर्च करने से पता चलता है कि बुरहानी फ्लोरा, साउथ बंगलूरू में स्थित है.
निष्कर्ष
हमारी जांच में ये वीडियो पुराना निकला है और कश्मीर से इसका कोई संबंध नहीं है. इसे बंगलूरू में शूट किया गया है.
दावा- कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटने के बाद वहां के मुसलमान भारत माता की जय के नारे लगा रहे हैं.
दावा करने वाले – फेसबुक, ट्विटर यूज़र
सच- दावा झूठा है
दूसरा वीडियो
ये वीडियो ट्विटर और फेबुक पर वायरल है. वीडियो में सड़क पर महिलाओं की भीड़ है. वीडियो के कैप्शन में कहा जा रहा है “हज़ारों की संख्या में कश्मीरी भारत से अपनी ज़मीन को मुक्त कराने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं. मीडिया और इंटरनेट पर पूरी तरह से प्रतिबंध के बावजूद एक देशभक्त ने ये वीडियो भेजकर इसे पूरे विश्व में फैलाने की अपील की है” इस वीडियो को 6 अगस्त को पोस्ट किया गया है.फेसबुक पर भी ये वीडियो वायरल है.
फैक्ट चेक
इस वीडियो को अगर गौर से देखेंगे तो लगभग 40 सेकेंड बाद बैंक की बिल्डिंग पर लगी होर्डिंग दिखाई देता है. जिसमें लिखा है बारामूला सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, हाजिन. अगर इस पते को मैप पर ढूढ़ें तो ये बैंक बारामुला पुलिस स्टेशन के पास हाईवे पर स्थित है. जब इस वीडियो को हमने InVID fake video debunker के ज़रिए चेक किया तो पता चला कि सबसे पहले इसे 12 दिसंबर 2018 को यूट्यूब पर अपलोड किया गया था. हम ये पता लगाने में सफल रहे कि ये वीडियो पुराना है औऱ इसका कश्मीर में हाल की घटनाओं से कोई लेना देना नहीं है.
आप अगर ऊपर वाले वीडियो को क्लिक करके यूट्यूब पर देखेंगे तो आपको तारीख नजर आएगी. नीचे दोनो वीडियो के स्क्रीन शॉट की तुलना आप देख सकते हैं.
निष्कर्ष
इस वीडियो का भी कश्मीर में हाल की घटनाओं से कोई लेना देना नहीं है. इसे गलत संदर्भ में सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है.
दावा- “हज़ारों की संख्या में कश्मीरी भारत से अपनी ज़मीन को मुक्त कराने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं. मीडिया और इंटरनेट पर पूरी तरह से प्रतिबंध के बावजूद एक देशभक्त ने ये वीडियो भेजकर इसे पूरे विश्व में फैलाने की अपील की है”
दावा करने वाले – सोशल मीडिया यूज़र
सच- दावा गुमराह करने वाला है, वीडियो पुराना है
तीसरा वीडियो
पाकिस्तान के मंत्री अली हैदर जैदी ने ये वीडियो शेयर किया है. वीडियो में काफी संख्या में लोग दिखाई दे रहे हैं. लोग नारे लगाते हुए सुनाई देते हैं. नारों में कहा जा रहा है ”इस पार भी लेंगे आज़ादी, उस पार भी लेंगे आज़ादी”.
वीडियो के बारे में दावा किया गया है ‘’ नरेंद्र मोदी सरकार के 35-A को खत्म करने के खिलाफ लाखों कश्मीरियों ने भारत अधिकृत कश्मीर में रैली निकाली #savekashmirfrommodi ‘’
फैक्ट चेक
हमने ”इस पार भी लेंगे आज़ादी, उस पार भी लेंगे आज़ादी” की-वर्डस के साथ गूगल पर इसे सर्च किया तो ऐसा ही वीडियो हमें मिला जो 22 मई 2017 में यूट्यूब पर अपलोड किया गया था.
दोनो ही वीडियो के स्क्रीन शॉट आप नीचे देख सकते हैं. दोनों में तारीखे अलग-अलग हैं.
निष्कर्ष
इंटरनेट पर ये वीडियो पुराना है. इसका कश्मीर में हाल की घटनाओं से कोई संबंध नहीं है. हम ये पुष्टि नहीं कर सकते कि ये वीडियो कहां का है लेकिन ये बात ज़रूर साबित होती है कि ये लगभग 2 साल पुराना वीडियो है
दावा- नरेंद्र मोदी सरकार के 35-A को खत्म करने के खिलाफ लाखों कश्मीरियों ने भारत अधिकृत कश्मीर में रैली निकाली
दावा करने वाले- पाकिस्तान के मंत्री अली हैदर ज़ैदी
सच-दावा गुमराह करने वाला है. वीडियो दो साल पुराना है
चौथा वीडियो
इस वीडियो में पुलिस पहनावे से मुसलमान दिख रहे लोगों पर लाठीचार्ज कर रही है. लोगो भी काफी गुस्से में दिखाई दे रहे हैं. इस वीडियो के बारे में दावा किया जा रहा है कि घाटी से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने के बाद पुलिस कश्मीरियों पर कार्रवाई कर रही है. वीडियो के कैप्शन में लिखा है ‘’कश्मीर में प्रसाद बंटना शुरू हो गया है’’
फैक्ट चेक
इस वीडियो को गौर से देखने पर देखने पर करीब 35 वें सेकेंड पर एक पुलिस थाने का बोर्ड नज़र आता है. इस पर लिखा है गर्दनीबाग थाना. रिसर्च के ज़रिए पता लगा कि गर्दनीबाग थाना बिहार के पटना में है. कुछ की वर्डस की सहायता से हमने ये पता लगाया कि वीडियो मदरसा शिक्षकों का था. अखिल भारतीय मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत के समर्थन से मदरसा शिक्षकों ने अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन किया था. प्रदर्शन उग्र होने पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया था.ये घटना 2015 की है. कई अखबारों और टेलिविज़न चैनल ने इसे रिपोर्ट किया था. नीचे आप इंडिया टीवी की रिपोर्ट देख सकते हैं.
निष्कर्ष
ये वीडियो अगस्त 2015 का पटना का है और कश्मीर से इसका कोई संबंध नहीं है.
पांचवा वीडियो
इस वीडियो में पुलिस के लोग प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाते हुए दिखाई दे रहे हैं. कहा जा रहा है कि वीडियो कश्मीर का है. पूरा वीडियो देखने पर कुछ आवाजें सुनाई देती हैं जिसमें कहा जा रहा ”हमारी मांगे पूरी करो.. ” इस पर सुरक्षा कर्मी उनके ऊपर फायरिंग करते हैं और बाद में एक एंबुलेंस नज़र आती है जो घायल व्यक्ति को ले जाती है. ये वीडियो भी हाल में ही कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को खत्म करने के फैसले के मद्देनजर शेयर किया गया है. इस वीडियो के कैप्शन में लिखा है ‘’मिस्टर मोदी, देखो, तुम्हारी भारतीय फौज निहत्थे कश्मीरी प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसा रही है. मैं तुमको चेतावनी देता हूं कि तुम्हारी फौज को ये काफी महंगा पड़ेगा अगर हम सीमा पार आ गए’’
फैक्ट चेक
वीडियो जांच के लिए प्रयोग किए जाने वाले Invid टूल की मदद से हमने इस वीडियो को की-फ्रेमस में तोड़कर रिवर्स इमेज सर्च किया, सर्च में हमे ऐसा ही एक वीडियो मिला जो 1 नवंबर 2017 में अपलोड किया गया था.
दरअसल ये वीडियो पुलिस की एक मॉक ड्रिल है. झारखंड की खूंटी पुलिस के रिहर्सल के दौरान का ये वीडियो है. लोगों ने इसे अपने मोबाइल से रिकॉर्ड किया है. वीडियो में आप लोगों को वहां से गुजरते हुए देख सकते हैं. वीडियो में अगर आप दुकानों के साइनबोर्ड पढ़ने की कोशिश करेंगे तो ज्यादातर हिन्दी में हैं. जबकि कश्मीर में साइनबोर्ड उर्दू भाषा में होते हैं.
निष्कर्ष
ये वीडियो कश्मीर का नहीं झारखंड का है. ये एक पुलिस मॉक ड्रिल है. 1 नवंबर 2017 को इसे अपलोड किया गया था
ऊपर दिए गए सभी पांच वीडियो गलत संदर्भ के साथ शेयर किए गए हैं. इनका कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने से कोई मतलब नहीं है. ये सभी वीडियो इस फैसले से पहले के हैं.
हमारी फैक्ट चेक स्टोरी में अगर आपको कोई गलती नज़र आती है तो आप हमें ज़रूर लिखें. हम अपनी गलतियों को स्वीकार करने के लिए पूरी तरह से हमेशा तैयार रहते हैं. आप हमें info@indiacheck.in या indiacheck1@gmail.com पर मेल कर सकते हैं. हम एक प्रक्रिया के तहत जांच करेंगे औऱ गलती पाए जाने पर स्टोरी को अपडेट करेंगे. आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. हमारा ट्विटर हैंडल है @indiacheck1