”सेना के घायल जवान को ये पता चलते ही कि सेना को कुछ भी करने की छूट मिल गई है,इलाज बीच में ही छोड़कर बदला लेने के लिए अस्पताल से बाहर निकल गया। ये है हमारी सेना का जज्बा।”
इस संदेश के साथ एक घायल सैनिक की तस्वीर जो हथियारों से लैस है सोशल मीडिया पर वायरल है।
शेयर चैट पर शनिवार को पोस्ट की गई इस तस्वीर को 46 हज़ार से ज्यादा लोग देख चुके हैं। 500 से भी ज्यादा बार इसे व्हाट्स एप पर शेयर किया जा चुका है।
कई फेसबुक पेजों पर भी इसी रफ्तार से ये लोगों के पास पहुंच रही है। तस्वीर में इस जवान की बहादुरी देखकर हर कोई दंग रह जाएगा। संदेश सबके एक ही है।
सच्चाई क्या है ?
हमने इस फोटो को yandex इमेज सर्च के ज़रिए खोजा तो बहुत सारी फोटो के परिणाम आए जो बिल्कुल एक जैसी थीं।
कई रशियन वेबसाइट मिलीं जिसमें इस सैनिक की तस्वीर और उससे जुड़ी रिपोर्टस भी थीं। कई ट्विटर यूजर्स ने भी इस तस्वीर के साथ सैनिक के बारे में जानकारी दी है।
ऱशियन वेबसाइट fishki.net के अनुसार भी इस सैनिक का नाम Maxim Razumovsky है। रूस का रहने वाला है।और लोग इसकी बहादुरी के कायल हैं। ये फोटो सितंबर 2004 में रुस के बेसलान इलाके में ली गई है। और घटना है आतंकवादियों द्धारा एक स्कूल में 1000 से ज्यादा लोगों को बधंक बना लेने की।
Razumovsky को रूस में रशियन टैंक भी कहा जाता है। वो रशियन स्पेशल फोर्स में अधिकारी की रैंक पर थे। ये फोर्स रुस की फेडरल सिक्युरिटी सर्विस के अंतर्गत आती है। Razumovsky बंधको को छुड़ाने के दौरान बुरी तरह घायल हो गये थे। इसके बाद भी वो अपने घावों पर पट्टी बांधकर औऱ दर्द की गोलियां खाकर लड़ते रहे। तीन दिन तक ये रेस्क्यु ऑपरेशन चला जिसमें 334 लोग मारे गए थे।मरने वालों में बच्चों की संख्या 186 थी।
निष्कर्ष
ये तस्वीर ना तो भारत की है औऱ ना ही भारतीय जवान की।