Fact-Check : विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को नहीं मिला ‘दादा साहब फाल्के अवॉर्ड 2023’

दादासाहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवार्ड 2023 का आयोजन हाल ही में मुंबई में किया गया। जिसमें बॉलीवुड के कई बड़े सितारों जिनमें रेखा, आलिया भट्ट, वरुण धवन, अनुपम खेर, ऋषभ सेट्टी आदि शिरकत करने पहुंचे। इस दौरान जहां आलिया भट्ट और उनके पति रणबीर कपूर को बेस्ट एक्टर- एक्ट्रेस के अवॉर्ड से नवाजा गया तो वहीं तेजस्वी प्रकाश को बेस्ट टेलीविजन एक्ट्रेस के लिए सम्मानित किया गया। फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को बेस्ट फिल्म का अवार्ड दिया गया।

अग्निहोत्री ने #DadaSahebPhalkeAwards2023  हैशटैग का इस्तेमाल करते हुए दावा किया कि “उनकी फिल्म को दादा साहब फाल्के अवार्ड 2023 से सम्मानित किया गया है”। आर्काइव

प्रमुख समाचार एजेंसी ANI News Tak ने भी यही दावा किया। आर्काइव

सच क्या है ?

विवेक अग्निहोत्री के दावे की जांच के लिए हमने कुछ कीवर्ड्स के साथ गूगल पर सर्च किया। इस दौरान हमें दादा साहब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से किया गया एक ट्वीट मिला। इसमें कहा गया, ” दादासाहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवार्ड्स 2023 में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार जीतने के लिए कश्मीर फाइल्स को बधाई. भारतीय सिनेमा में आपके अथक योगदान के लिए हम आपका आभार व्यक्त करते हैं।#dpiff #dpiff2023 #dpiffawards #”

इस ट्वीट से स्पष्ट हुआ कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवार्ड्स 2023 में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार जीता है ना कि दादा साहब फाल्के पुरस्कार। दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की आधिकारिक वेबसाइट या सोशल मीडिया अकाउंट पर हाल ही में आयोजित फाल्के अवार्ड की कोई भी खबर मौजूद नहीं है जिससे विवेक अग्निहोत्री के दावे की पुष्टि हो सके। दादा साहेब फाल्के अवार्ड और दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवार्ड दोनों अलग-अलग पुरस्कार हैं। इनके अलावा भी कई अन्य पुरस्कार और फिल्म फेस्टिवल दादा साहेब फाल्के के नाम पर रखे गए हैं, जिससे कभी-कभी भ्रम पैदा होता है। इस तरह के पुरस्कारों में दादासाहेब फाल्के फिल्म फाउंडेशन पुरस्कार और दादासाहेब फाल्के उत्कृष्टता(एक्सीलेंस) पुरस्कार शामिल हैं, जो फिल्म समारोह निदेशालय(DOFF) द्वारा दिए गए पुरस्कार से संबंधित नहीं हैं। 

दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड 

सूचना और प्रसारण मंत्रालय, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के मौके पर दादासाहेब फाल्के पुरस्कार देता है।यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा के संवर्धन और विकास में उल्लेखनीय योगदान करने के लिए दिया जाता है।भारत सरकार की ओर से, इस पुरस्कार में दस लाख रुपये नकद, स्वर्ण कमल और शॉल प्रदान किया जाता है। इसका चयन प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक समिति करती है। सबसे पहला दादा साहेब फाल्के सम्मान अभिनेत्री देविका रानी को वर्ष 1969 में दिया गया था। वहीं 30 सितम्बर 2022 को 52 वें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से आशा पारेख को सम्मानित किया गया।

दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड

दादासाहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (DPIFF) की स्थापना 2012 में हुई थी और 2016 में इसे दादा साहेब  फाल्के की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए स्थापित किया गया था। यह भारत का एकमात्र स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव है, जिसका मिशन आकांक्षी, युवा, स्वतंत्र और पेशेवर फिल्म निर्माताओं के काम का जश्न मनाना है।चंद्रशेखर पुसालकर (दादासाहेब फाल्के जी के पौत्र) इसके जूरी अध्यक्ष हैं वहीं अनिल मिश्रा इसके संस्थापक और एमडी हैं। इसका आयोजन सरकार के द्वारा नहीं किया जाता। निजी संस्थाओं के कुछ लोग इसका आयोजन करते हैं जबकि दादा साहब फाल्के अवॉर्ड का आयोजन सूचना और प्रसारण मंत्रालय, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के मौके पर करता है।

दादासाहेब फाल्के के नाती चंद्रशेखर पुसालकर ने इस अवॉर्ड पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि “दादा साहेब फाल्के पुरस्कार देश में सिनेमा का सबसे बड़ा राष्ट्रीय सम्मान है। लेकिन मुंबई में बीते दिन जिस संस्थान ने यह अवॉर्ड बांटे हैं वह दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवार्ड्स के नाम से हैं। दोनों में जमीन आसमान का फर्क है। यह संस्थान पैसे लेकर उन लोगों को अवॉर्ड दे रही हैं, जो उस काबिल भी नहीं हैं।”

30 अप्रैल 2022 को अमर उजाला से बात करते हुए चंद्रशेखर पुसालकर कहते हैं “फाल्के पुरस्कारों के नाम पर लोग लाखों की वसूली कर रहे हैं और इसके चलते भारत सरकार से मिलने वाले सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है।मैं सरकार से अपील करता हूँ कि जो लोग भी ये अवॉर्ड समारोह कर रहे हैं, उनसे पूछा जाए कि ये समारोह करने के लिए पैसा उनके पास कहां से आता है, उनकी आय के स्रोत क्या हैं, इनकम टैक्स भरते हैं कि नहीं? सरकार ऐसे अवॉर्ड को बंद करने की पहल करे तो मैं भी मदद जरूर करूंगा।” 

प्रसिद्ध फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज ने भी दी तीखी प्रतिक्रिया

प्रसिद्ध फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज ने भारत सरकार से इस अवॉर्ड को जल्द से जल्द बंद करने की अपील करते हुए ट्विटर पर लिखा, “मजेदार और कड़वी सच्चाई है कि दादा साहब फाल्के के नाम से जारी यह अवॉर्ड फिल्म बिरादरी के सदस्यों द्वारा भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले दादा साहब फाल्के अवार्ड के समकक्ष देखा जाने लगा है। भारत सरकार और सूचना प्रसारण मंत्रालय से मेरा आग्रह है कि इसे जल्द से जल्द बंद किया जाए”।

निष्कर्ष

इंडिया चेक ने अपनी पड़ताल में विवेक अग्निहोत्री के ट्वीट को भ्रामक पाया है। दरअसल ‘द कश्मीर फाइल्स’ ने दादासाहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवार्ड्स 2023 में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार जीता है ना कि दादा साहब फाल्के पुरस्कार। दादा साहेब फाल्के अवार्ड और दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवार्ड दोनों अलग-अलग पुरस्कार हैं। 

दावा – फिल्म निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को दादा साहब फाल्के अवार्ड 2023 से सम्मानित किया गया 

दावा किसने किया – विवेक अग्निहोत्री, एएनआई समाचार एजेंसी, Tak न्यूज़ और Zee सलाम ने

सच – दावा‌ भ्रामक है

Pratayksh Mishra

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