चंद्रयान-3 का लॉन्च शुक्रवार को सफ़लतापूर्वक पूरा हो गया है। चंद्रमिशन के तहत चांद पर भेजा गया चंद्रयान-3, 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा। चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के स्पेस सेंटर से शुक्रवार दोपहर 2.35 बजे लॉन्च किया गया था।
फ़्रांस दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी ने चंद्रयान-3 का लॉन्च होना, देश के लिए गौरव की बात बताया। उन्होंने कहा चन्द्रयान 3 भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक शानदार चैप्टर की शुरुआत है। साथ ही उन्होंने देश के वैज्ञानिकों के प्रयास को भी सलाम किया”।
इस बीच सोशल मीडिया पर एक बहस छिड़ गई। जहां भाजपा समर्थक, चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दे रहे हैं वहीं कांग्रेस समर्थक इसका श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू को दे रहे हैं।
कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट करते हुए लिखा, “पंडित नेहरू द्वारा सपना देखा गया, इंदिरा गांधी जी द्वारा पोषित और राजीव गांधी जी और डॉ. मनमोहन सिंह जी द्वारा महान ऊंचाइयों पर ले जाया गया @isro एक नया मील का पत्थर हासिल करता है!
सभी के लिए गर्व का क्षण, जब हम चंद्रमा पर विजय प्राप्त करने के लिए #चंद्रयान3 को उत्साहपूर्वक उड़ान भरते हुए देख रहे हैं! जय हिन्द”
वेणुगोपाल के ट्वीट को भाजपा के राष्ट्रीय आईटी सेल प्रभारी अमित मालवीय ने रिट्वीट करते हुए बताया कि इसरो की स्थापना का श्रेय नेहरू को नहीं जा सकता। क्योंकि नेहरू की मृत्यु मई 1964 में हुई और इसरो की स्थापना अगस्त 1969 को हुई।
ट्विटर पर सक्रिय रहने वाले पूर्व प्रशासनिक अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने ट्विटर पर चन्द्रयान 3 के लांच होने के बाद देश में बढ़ती साम्प्रदायिकता को लेकर केन्द्र सरकार पर तंज कसा। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा – “अगर @isro स्थापित करने की जगह,पंडित नेहरू भी गौमूत्र-गोबर,मंदिर-मस्जिद, दंगा फ़साद करते-कराते रहते तो क्या आज #चन्द्रयान जाता?”
ट्विटर पर अक्सर भ्रामक पोस्ट करने वाले यूजर मिस्टर सिन्हा ने सूर्य प्रताप सिंह के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए बताया कि, “नेहरू जी की मृत्यु 1964 में हुई थी और इसरो की स्थापना 5 साल बाद 1969 में हुई थी, तो इसरो की स्थापना नेहरू कैसे कर सकते हैं”।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने भी चन्द्रयान 3 के सफल प्रक्षेपण की वैज्ञानिकों और देशवासियों को बधाई दी। साथ ही उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू को याद करते हुए ट्वीट कर कहा, “आज स्वर्ग में बैठे हुए पंडित जवाहर लाल नेहरू अपने सपने को वृहद रूप में फलते फूलते देखकर मुस्करा रहे होंगे”।
एक अन्य ट्वीट जिसमें कहा गया इसरो की स्थापना के समय नेहरू जीवित नहीं थे।
इसरो की वेबसाइट ( Isro.gov.in ) पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक इसरो भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) का एक प्रमुख अंग है। इसरो को पहले भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) के नाम से जाना जाता था , जिसे 1962 में तत्कालीन भारत सरकार(जवाहरलाल नेहरू) द्वारा स्थापित किया गया था, जिसकी कल्पना डॉ. विक्रम साराभाई ने की थी।
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए विस्तारित भूमिका के साथ INCOSPAR को हटाकर 15 अगस्त, 1969 को इसरो का गठन किया गया।
हमें इसरो पत्रिका का अप्रैल-दिसंबर 2011 का एक अंक मिला। जिसके पेज नंबर 2 पर भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया कि अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति की (INCOSPAR) 1962 में स्थापना के साथ ही देश में अंतरिक्ष गतिविधियों की शुरुआत हुई।उसी वर्ष, थुम्बा पर इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन (टीईआरएलएस), निकट तिरुवनंतपुरम, भी शुरू किया गया था।
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को संस्थागत रूप दिया गया।
स्पष्ट है कि INCOSPAR का नाम बदलकर ही 1969 में इसरो कर दिया गया था।
निष्कर्ष
indiacheck ने अपनी पड़ताल में वायरल दावे को भ्रामक पाया है। दरअसल इसरो को पहले भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) के नाम से जाना जाता था, जिसे 1962 में तत्कालीन भारत सरकार(जवाहरलाल नेहरू) द्वारा स्थापित किया गया था, जिसकी कल्पना डॉ. विक्रम साराभाई ने की थी।
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