कर्नाटक विधानसभा चुनाव में चुनाव प्रचार चरम पर है. मतदान की तारीख 10 मई तय की है। और 13 मई नतीजे आएंगे इस बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो को चुनाव से जोड़कर वायरल किया गया जिसमें केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह भगवान बसवेश्वर यानि बसवन्ना की मूर्ति पर माला फेंकते हुए देखे जा सकते हैं, उनके द्वारा मूर्ति पर फेंकी गई माला भगवान बसवन्ना के गले में नहीं डलती बल्कि नीचे गिर जाती है जिसके कारण अमित शाह की आलोचना की जा रही है और कहा जा रहा है कि उन्होंने ऐसा करके लिगायत समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
[ आपको बता दें कि 12वीं शताब्दी के बसवन्ना/बसवेश्वर लिंगायतवाद के संस्थापक थे।भगवान बसवेश्वर कर्नाटक में लिंगायतों द्वारा पूजे जाते हैं।दक्षिण भारत के अन्य हिस्सों में भगवान बसवन्ना की जयंती भी मनायी जाती है। ]
भारत राष्ट्र समिति(BRS) के सदस्य वाई. सतीश रेड्डी ने वायरल वीडियो को ट्वीट कर गृहमंत्री अमित शाह की आलोचना की और इसे उनके अंहकार से जोड़ दिया। रेड्डी ने ट्वीट के कैप्शन में लिखा – Sheer arrogance! 👇
#KarnatakaElections2023 (हिन्दी अनुवाद: कोरा अहंकार) आर्काइव
विनयशील नामके ट्विटर हैंडल ने ये वीडियो क्लिप पोस्ट हुए दावा किया ‘बीजेपी बसवन्ना का अपमान करती है. अमित शाह जी, जिनका हम सम्मान करते हैं उनको कभी माला फेंककर नहीं पहनाते. कर्नाटक आपको कभी माफ नहीं करेगा.ये केवल बसवा का नहीं बल्कि पूरे कर्नाटक का अपमान है’
कुछ ट्वीट्स के आर्काइव ( 1 , 2 ) यहां देखे जा सकते हैं।
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वायरल वीडियो के पीछे की सच्चाई पता लगाने के लिए हमने एक सटीक कीवर्ड ‘Amit Shah failed to garlanding the idol of Basaveshwa from crane’ को चुना और गूगल पर सर्च किया।
इस दौरान हमें 18 अप्रैल 2018 को प्रकाशित India TV, Times Of India , AajTak की रिपोर्ट मिलीं। रिपोर्ट्स के हवाले से कहा गया कि कर्नाटक में विधानसभा चुनाव(2018) के समय प्रचार अभियान के दौरान
बंगलुरु में भगवान बसवेश्वर की मूर्ति पर अमित शाह माला चढ़ाने पहुंचे। उनके साथ बीएस येदियुरप्पा(सीएम) भी मौजूद थे। मूर्ति काफी ऊंची थी इसलिए अमित शाह और बीएस येदियुरप्पा को क्रेन के जरिए मूर्ति के पास तक पहुंचाया गया लेकिन शाह ने जब माला डाली तो माला मूर्ति पर नहीं पहुंच पाई जबकि येदियुरप्पा माल्यार्पण करने में सफल रहे।
अप्रैल 2018 में बसवेश्वर मूर्ति पर माल्यार्पण करते हुए अमित शाह का यह वीडियो हमें News Tak पर देखने को मिला। जिसके कैप्शन में लिखा है – “लिंगायतों के देवताओं के आगे कैसे चूक गए अमित शाह?”
वहीं हमको वायरल वीडियो और ओरिजिनल वीडियो के फ्रेम्स में काफी समानताएं देखने को मिली, जिससे कहा जा सकता है कि वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का ना होकर 5 साल पुराना है।
निष्कर्ष
indiacheck ने अपनी पड़ताल में वायरल वीडियो के साथ किए गए दावे को भ्रामक पाया है। सोशल मीडिया पर वायरल यह वीडियो आज से 5 साल पुराना यानी 2018 का है हालांकि वायरल वीडियो सही है।और उस समय हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव का है. लेकिन इस बार के चुनाव से इसका कोई लेना दाना नहीं है.
दावा – केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भगवान बसवेश्वर (बसवन्ना) की मूर्ति पर माला फेंककर उनका अपमान किया, यह उनके अंहकार को दर्शाता है
दावा किसने किया – भारत राष्ट्र समिति(BRS) के सदस्य वाई. सतीश रेड्डी एवं अन्य यूजर्स ने
सच – दावा भ्रामक है
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