इंदिरा गांधी ने नहीं लिया JNU में यचूरी का इस्तीफा,मोहनदास पई ने नहीं डिलीट किया झूठा ट्वीट

इंफोसिस के पूर्व सीएफओ, मनीपाल गलोबल एजुकेशन के चेयरमैन, पद्म श्री मोहनदास पई ने 5 दिन पहले यानि 10 जनवरी को एक तस्वीर ट्वीट की थी. इस तस्वीर में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कुछ पुलिस वालों के साथ खड़ी हुई दिखाई देती हैं औऱ सीपीएम नेता सीताराम यचूरी कुछ पढ़ते हुए दिखाई देते हैं. तस्वीर पर एक संदेश लिखा गया है जिसमें दावा किया गया है कि ‘’साल 1975 में इमरजेंसी के दौरान दिल्ली पुलिस के साथ इंदिरा गांधी JNU में आईं. उस समय के JNU छात्रसंघ के अध्यक्ष सीताराम यचूरी को पीटा गया और बलपूर्व इस्तीफा लिया गया. इमरजेंसी का विरोध करने के लिए उनसे माफीनामा भी पढ़वाया गया. ये उनका कठोर रवैयै था. अमित शाह तो उनके सामने संत हैं .’’ मोहनदास के इस ट्वीट को अब तक 4700 से भी ज्यादा रिटवीट किए जा चुके हैं. मोहनदास ने इस तस्वीर को ट्वीट करते हुए पूछा है कि क्या ये सच्चाई है ? इसमें उन्होने सीताराम यचूरी को भी टैग किया.

ट्विटर पर बहुत सारे लोगों ने इसे पोस्ट किया

फेसबुक पर भी ये वायरल है.

फेसबुक पेज ‘देशभक्त” का स्क्रीन शॉट

इसका आर्काइव्ड वर्ज़न आप यहां देख सकते हैं.

फैक्ट चेक

इस तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च करने पर दो परिणाम इसकी सच्चाई को बताते हैं. India resist और  Hindustan times की रिपोर्ट के अनुसार ये तस्वीर जेएनयू की नहीं है बल्कि इंदिरा गांधी के आवास के बाहर की है. इमरजेंसी खत्म होने का बाद ये तस्वीर 1977 में ली गई थी.सीताराम यचूरी 1977 में JNU छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे. इंदिरा गांधी को विश्वविद्यालय के चांसलर के पद से हटाने की मांग को लेकर वो छात्रों के  साथ विरोध कर रहे थे. तस्वीर में यचूरी इंदिरा गांधी के सामने छात्रों की मांगो को पढ़ रहे हैं.

india resist के आर्टिकल का स्क्रीन शॉट

गौरतलब हैं कि इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी चुनाव हार गईं थी. लेकिन JNU के वाइस चांसलर के पद पर बनीं हुईं थी. छात्र जब यचूरी के नेतृत्व में इंदिरा गांधी के आवास पर पहुंचे तो वो उनकी मांगे सुनने के लिए अपने आवास से बाहर आईं. इसके बाद उन्होने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

hindusan times की रिपोर्ट का स्क्रीन शॉट

सीताराम यचूरी 1975 मे सीपीएम में शामिल हुए थे. इमरजेंसी के दौरान उन्हे गिरफ्तार किया गया था. इमरजेंसी खत्म  होने के बाद 1977 में वो JNU छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए. सीपीएम की वेबसाइट पर उनके बारे में जानकारी देखी जा सकती है.

गौरतलब है कि मोहनदास पई के इस ट्वीट के अगले ही दिन सच्चाई सामने आ गई थी. लेकिन ये जानते हुए कि उनके तरफ से ट्वीट की गई तस्वीर के जरिए गुमराह करने की कोशिश की जा रही है उन्होने अपने ट्वीट को अभी तक डिलीट नहीं किया ,ऐसा लगता है कि पाई जानबूझकर इस तस्वीर के जरिए एक वर्ग के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं. इससे पहले भी कई बार उनकी तरफ से लोगों को एक खास एजेंडे के तहत गुमराह करने की कोशिश की गई.

निष्कर्ष

मोहन दास पई ने इंदिरा गांधी और यचूरी की तस्वीर जिस नरेटिव के साथ पोस्ट की वो गुमराह करने वाला है. तस्वीर में इंदिरा गांधी JNU में नहीं हैं. और ना ही सीताराम यचूरी से जबदस्ती इस्तीफा लिया गया. तस्वीर में यचूरी माफी नामा नहीं पढ़ रहे हैं बल्कि इंदिरागांधी के खिलाफ छात्रों की मांग को पढ़ रहे हैं. छात्रों ने इंदिरा गांधी से वीसी का पद छोड़ने की मांग की थी.

दावा- 1975 में इंदिरा गांधी ने JNU में पुलिस के साथ घुसकर सीताराम यचूरी की पिटाई करवाई और इस्तीफा लेकर उनसे जबरन माफीनाम पढ़वाया

दावा करने वाले- सोशल मीडिया यूजर , मोहनदास पई

सच- दावा झूठा है

Meenu Chaturvedi

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