खून से लथपथ एक महिला की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है. दावा किया जा रहा है कि ये महिला JNU की छात्र है जो हाल ही में हुए छात्रों के प्रदर्शन के दौरान पुलिस की पिटाई में घायल हुई है. इस तस्वीर के साथ एक संदेश है जिसमें कहा जा रहा है ”आस्था की बात करे तो फूल बरसाए जाते है और शिक्षा की बात करे तो लाठियां बरसाई जाती है यही असलियत है योगी और मोदी की उनका मतलब हैं कि कोई भी गरीब परिवार का छात्र शिक्षित न हो’’
ऐसी ही तस्वीरें फेसबुक पर भी वायरल है. संदेश सबमे एक ही है.
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तस्वीर का सच
तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च करने पर शिया वेब साइट Jafariya News.com पर इसकी जानकारी मिलती है. पहली बार इसी वेबसाइट पर ये तस्वीर 20 फऱवरी 2005 को प्रकाशित हुई थी. तस्वीर के साथ एक लेख भी है जिससे पता चलता है ये तस्वीर लेबनान की हो सकती है. लेख मुहर्रम के बारे में है.
मुहर्रम को शिया मुसलमान इमाम हुसैन और मुहम्मद साहेब की शहादत को मातम के रूप में मनाते हैं. मातम के दौरान इस समुदाय के लोग अपने आप को शारीरिक यातना देते हैं. पूरी दुनिया में जहां भी शिया मुसलमान रहते हैं इस दिन को मातम के रूप में मनाते हैं. ये तस्वीर इससे पहले कश्मीर को लेकर भी वायरल हो चुकी है.
JNU के छात्र बढ़ी फीस को वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन पर हैं. 18 नवंबर को छात्रों के संसद पर मार्च के एलान के दौरान पुलिस के साथ उनकी झड़प हुई थी जिसमें कई छात्र घायल हुए थे. लेकिन घायल छात्रों में ये महिला नहीं थी.
निष्कर्ष
सोशल मीडिया पर वायरल खून से लथपथ महिला की तस्वीर JNU में छात्रों के प्रदर्शन के दौरान की नहीं है. औऱ ना ही ये महिला JNU की छात्र है. तस्वीर में दिख रही महिला लेबनान की हो सकती है. और ये घटना शिया मुसलमानों के मुहर्रम के दौरान मातम की है.
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