तारीख 14 अप्रैल. जगह मुंबई का बांद्रा वेस्ट स्टेशन. दोपहर बाद का समय. अचानक प्रवासी मजदूरों की भारी भीड़ स्टेशन के सामने जमा होने लगती है. किसी को नहीं पता कोरोना संकट के चलते लागू लॉकडाउन के बीच अचानक ये क्या हुआ ? कुछ न्यूज चैनलों ने बताया कि भीड़ रेलवे स्टेशन के पास मस्जिद पर इकट्ठा हुई. फिर सवाल करना शुरू किया कि मस्जिद के पास भीड़ क्यों इकट्ठा हुई ? किसने मस्जिद के पास बुलाई भीड़ ? क्या भीड़ जुटाने के लिए जामा मस्जिद ज़िम्मेदार है ?
कुछ पत्रकारों ने भी ट्वीट किए. और मस्जिद शब्द पर जोर दिया. इंडिया टीवी के संपादक और प्रमोटर रजत शर्मा ने अपने ट्वीट में मस्जिद का जिक्र करते हुए लिखा ये बहुत चिंता की बात है.
फिल्म डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री ने भी इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की.
गौरतलब है कि 14 अप्रैल को सुबह 10 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ाने की घोषणा की थी. इस गोषणा के कुछ घंटों के बाद ही ये घटना हुई
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सच क्या है ?
स्थानीय व्यक्ति भीड़ को समझा रहा है या उकसा रहा है ?
दक्षिणपंथी लेखिका शेफाली वैद्या नें एख वीडियो पोस्ट किया जिसमें कोई मुस्लिम व्यक्ति भीड़ को संबोधित कर रहा है. वीडियो के साथ शेफाली ने दावा किया एक और तब्लीगी वायरस का क्षण
45 सेकेंड की इस वीडियो क्लिप में ये व्यक्ति कहता सुनाई देता है, “हमें मालूम है कि परेशानी है, हम समझ सकते हैं,. लेकिन ये परेशानी अल्लाह की तरफ से है. हमे इसको सहना है. हम जानते हैं कि आपके बाल-बच्चे यहां नहीं है, मां-बाप यहां नहीं है लेकिन ये कुछ समय की बात और हालात ठीक हो जाएंगे. पूरी दुनिया इसका सामना कर रही है. मस्जिद और चर्च बंद करने पडे़, काबा बंद करना पड़ा, हज नहीं हो रहा है. इससे बड़ी क्या बात हो सकती है.” पुलिस के अनुसार ये स्थानीय व्यक्ति है जिसे मजदूरों को समझाने के लिए कहा गया था.
मस्जिद का नाम क्यों आया ?
यहां हम आपको बता दें कि बांद्रा वेस्ट स्टेशन के बिल्कुल करीब सुन्नी जामा मस्जिद है. ये बिल्कुल स्टेशन से लगी हुई है. ये बात आप इस तस्वीर में भी देख सकते हैं.
गूगल मैप के जरिए भी ये पता लगता है कि दोनों के बीच पैदल दूरी करीब एक मिनट की है.
इसलिए ये दावा करना कि भीड़ मस्जिद पर इकट्ठा हुई या इसमें मस्जिद की कोई भूमिका बताना तथ्य नहीं हो सकता है. मुंबई पुलिस ने भी किसी भी तरह के सांप्रदायिक रंग से इंकार किया है.
अफवाह की वजह से एकत्रित हुए प्रवासी मजदूर
मुंबई पुलिस केअधिकारियों ने बातचीत में बताया कि ये लोग प्रवासी मजदूर है. और अपने घर वापस जाना चाहते थे. कुछ लोगों के द्वारा अफवाह फैलाई गई कि ट्रेन चलना शुरू हो गई हैं. ये पता करने के लिए वो स्टेशन पहुंचे थे. मुंबई पुलिस ने अफवाह फैलाने के मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया है। इसमें एक विनय दुबे नामका व्यक्ति है जिसने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करके कहा कि वो मजदूरों को घर पहुंचाने का इंतजाम कर रहा है. इसके अलावा एक रीजनल चैनल के रिपोर्टर को भी गलत खबर चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था जिसे कोर्ट ने जमानत दे दी है.हालांकि रिपोर्टर ने रेलवे के एक सर्कुलर के आधार पर ट्रेन चलाए जाने की खबर चलाई थी. जिस पर रेलवे ने एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा है कि ये एक आतंरिक प्रस्ताव था जिसे लागू करने पर कोई फैसला नहीं हुआ था.
हमने अखबारों का भी विश्लेषण किया जिसमें किसी तरह के सांप्रदायिक एंगल का जिक्र नहीं है. इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा कि घर जाने के लिए प्रवासी मजदूरों ने लॉकडाउन का उल्लंघन किया. बाद में एबीपी न्यूज ने भी अपने फेसबुक लाइव में ये कहा कि इस घटना में कोई हिन्दू-मुस्लिम एंगल नहीं है. मजदूर ट्रेन चलने की अफवाह की वजह से एकत्रित हुए थे.
निष्कर्ष
मीडिया के एक सेक्शन और सोशल मीडिया में बांद्रा वेस्ट स्टेशन पर एकत्रित हुए प्रवासी मजदूरों की घटना में सांप्रदायिक एंगल नहीं है . ये मजदूर घर जाने के लिए परेशान हैं और ट्रेन चलने की अफवाह के चलते रेलवे स्टेशन पर पहुंचे थे. पुलिस अभी इस मामले की जांच कर रही है.