लेखिका मधू किश्वर ने गुमराह करने वाला एक वीडियो ट्विटर पर अभी से कुछ घंटे पहले पोस्ट किया है. वीडियो में इस्लामिक टोपी पहने बहुत सारे लोग हिंसा पर उतारू हैं. उनके हाथों में लाठी डंडे दिखाई दे रहे हैं. किश्वर ने इस वीडियो के साथ कैप्शन लिखा है ‘’हर दूसरे हाथ में कैमरा और पूरे शहर में सीसीटीवी को शुक्रिया. अब हमारे पास दंगों के विज्ञान को समझने के साधन हैं.’’
मधू किश्वर के ट्वीट का आर्काइव्ड वर्ज़न आप यहां देख सकते हैं.. इसी वीडियो को बीजेपी समर्थक और लेखिका शेफाली वैद्या ने भी ट्वीट किया. शेफाली ने अंग्रेजी में दो शब्दों का कैप्शन लिखा ‘skull caps, anyone?’. स्कल कैप यानि वो टोपी जिसे साउथ एशिया में मुसलमान पहनते हैं.
शेफाली के इस ट्वीट का आर्काइव्ड वर्ज़न आप यहां देख सकते हैं. गौरतलब है कि हाल ही में दिल्ली में जबरदस्त दंगे हुए जिनमे 45 से ज्यादा लोगों की जाने जा चुकी हैं. दोनों ने इस वीडियो को इसी से जोड़ने का संकेत दिया है..
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फैक्ट चेक
इस वीडियो को की-फ्रेम्स में तोड़कर रिवर्स इमेज सर्च कराने पर पता चला ये वीडियो दिसंबर 2018 का है. ट्विटर पर 6 दिसंबर 2018 को एक पोस्ट मिली जिसमें यही वीडियो हमे दिखाई दिया जिसे मधु किश्वर और शेफाली वैद्या ने आज पोस्ट किया है.
खोज के दौरान हम फेसबुक पर भी एक वीडियो 1 दिसंबर 2018 का मिला जिसे उमर फारुक नामके व्यक्ति के प्रोफाइल से पोस्ट किया गया था. पोस्ट में बताया गया है कि वीडियो बांगलादेश के टोंगी शहर का है जहां मुसलमानों के दो ग्रुप के बीच हिंसा हुई थी. ये वीडियो मधु किश्वर के ट्वीट किए गए क्लिप से काफी लंबा है. नीचे वीडियो में 3.50 और 4.40 मिनट पर मधु किश्वर के वीडियो को आप देख सकते हैं.
इन दोनों पोस्ट से एक बात तो तय हो गई कि वीडियो पुराना है. औऱ 6 दिसंबर 2018 से पहले का है. दिल्ली के दंगों से इसका कोई मतलब नहीं है. खोज के दौरान के कैप्शन से कुछ कीवर्डस लेकर जब हमने सर्च किया तो कई अखबारों की रिपोर्ट औऱ वीडियो हमे मिले. बीबीसी के बांग्ला वेबसाइट ने भी इस पर रिपोर्ट की थी. रिपोर्ट के अनुसार टोंगी में हर साल मुसलमानों का धार्मिक सम्मेलन होता है. इसका नाम बिश्व इजतमा है. जिसे तबलीगी जमात आयोजित करता है. 1 दिसंबर 2018 को संगठन के दो ग्रुप के बीच विवाद होने पर ये हिंसा हुई थी. इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
ये वीडियो दिल्ली के दंगों से पहले भी वायरल हुए थे. उस दौरान इसे पश्चिम बंगाल में इस्लामिक आतंकवाद बताकर वायरल किया गया था. बूम लाइव और ऑल्ट न्यूज नें तब इसका फैक्ट चेक किया था.
निष्कर्ष
मधू किश्वर की ये वीडियो क्लिप गुमराह करने वाली है. अपनी पोस्ट में उन्होने बड़ी चालाकी से मुसलमानों को निशाना बनाया है. वीडियो दिल्ली के दंगों के दौरान का लगे इसलिए उन्होने वीडियो के समय और जगह के बारे में कोई जिक्र नहीं किया है. शेफाली वैद्या ने भी यही किया. ऐसे समय में जब देश की राजधानी सांप्रदायिक हिंसा के दौर से निकलने की कोशिश कर रही है, प्रशासन फेक और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ एक्शन लेने की बात कर रहा हो, इस तरह के वीडियो समाज में नफरत औऱ हिंसा को बढ़ावा देने वाले हैं. आप सभी से अपील है कि ऐसे वीडियो और तस्वीरों से बचें. इन्हे शेयर ना करें. इससे लोगों की जिंदगी को खतरा हो सकता है.