पालघर में 2 साधू समेत तीन लोगों की नृशंस हत्या को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश

महाराष्ट्र के पालघर में दो साधू और उनके ड्राइवर की नृशंस हत्या के बाद सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने का सिलसिला शुरू हो गया है. दावा किया जा रहा है कि मुसलमानों की भीड़ ने ये हत्याएं की हैं. वीडियो में गेरुए वस्त्र में एक बुजुर्ग पुलिस कर्मी को पकड़े हुए जा रहे हैं. कुछ लोग लाठी डंडे लिए हुए उनकों मारने के लिए दौड़ रहे हैं. कुछ सेकेंड बाद कुछ लोग हमला करते हैं तो पुलिस कर्मी उनसे अपना हाथ छुड़ा लेता है. फिर भीड़ उनकों बुरी तरह से लाठियों से पीटती है. वीडियो विचलित करने वाला है. फिल्म डायरेक्टर अशोक पंडित ने एक के बाद कई ट्वीट किए. और सीधे-सीधे मुसलमानों को जिम्मेदार ठहराया.

एक ट्वीट में तो वो फिल्म डायरेक्टर अनुराग कश्यप को जवाब देते हुए एक मुस्लिम व्यक्ति का नाम भी लेते हैं. उनका दावा है कि वीडियो में शोएब नामके व्यक्ति का नाम लिया गया.

गौरतलब है कि 16 अप्रैल को पालघर के गढ़चिचाली गांव के पास एक भीड़ ने पुलिस की मौजूदगी में तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी. मारे गए लोगों में महाराज कल्वृक्ष गिरी, उम्र 70 साल, सुशील गिरी महाराज, उम्र,35 साल और उनके ड्राइवर निलेश तेलगाने,उम्र 35 साल शामिल थे. ये लोग किसी परिचित के अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए मुंबई के कांदीवली से सूरत जा रहे थे. एक और ट्वीट में दावा किया गया कि वीडियों के आखिरी हिस्से में साफ सुनाई देता है कि कोई चिल्ला रहा है ‘मार शोएब मार’

क्या वीडियो में शोएब नाम लिया गया ?

इस घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए गए हैं. सभी वीडियो में लोगों का शोर सुनाई देता है. एक वीडियो के आखिरी हिस्सा जिसके बारे में दावा किया जा रहा है कि शोएब नाम लिया गया हमने इसका एनालिसिस किया. इसमें एक साउंड कई बार सुनाई देता है ”ओए बस” लेकिन शब्द साफ नहीं हैं. ये ”शोएब” शब्द का उच्चारण भी नहीं लगता है. भाषा के बारे में सही जानकारी नहीं मिलती है. हमने इस संबध में पालघर के एसपी गौरव सिंह के पीआरओ हेमंत काटकर से बात की तो उन्होने बताया कि इस घटना में शामिल लोग हिन्दी नहीं बोलते हैं. ये स्थानीय आदिवासी भाषा है. उन्होने बताया कि वीडियो की जांच की गई है और इसमें कहीं भी शोएब नाम का जिक्र नहीं है. सोशल मीडिया पर झूठे दावे किये जा रहे हैं.उन्होने बताय कि इस घटना में 110 लोग गिरफ्तार किए गए हैं जिसमें 9 नाबालिग हैं. साथ ही दो पुलिस इंस्पेक्टर को भी सस्पेंड किया गया है. ये सभी आदिवासी हैं इनमें से कोई भी मुस्लिम नहीं है. पालघर पुलिस के आधिकारिक ट्वीटर हैंडल ने भी ये जानकारी ट्वीट की है.

इससे पहले महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने ट्वीट करके जानकारी दी कि इस घटना में कोई भी सांप्रदायिक एंगल नहीं है. जो लोग मारे गए हैं और जो आरोपी है वो सभी एक ही धर्म के हैं. देशमुख ने चेतावनी दी कि जो लोग इस तरह की अफवाह फैला रहे हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी सांप्रदायिक एंगल से इंकार किया है.

अफवाह की वजह से हुई घटना

पुलिस के अनुसाग गुरुवार की रात ये घटना हुई थी. मुंबई के कांदीवली से सड़क के रास्ते कार से ये लोग सूरत जा रहे थे. पालघर के पास इनकी गाड़ी को ग्रामीणों ने रोक लिया और तीनों को बाहर निकालकर मार डाला. गौरतलब हैं कि दो दिन पहले भी इस इलाके में एक डॉक्टर और पुलिस वालों पर ग्रामीणों ने हमला किया था. पुलिस के अनुसार पिछले कुछ दिनों से इस इलाके एक अफवाह उड़ रही है कि बाहरी लोग यहां लूटपाट करने के इरादे से आ रहे हैं. दो दिन पहले हुई घटना भी इसी अफवाह की वजह से हुई थी.

निष्कर्ष

पुलिस से मिली जानकारी और हमारी इंवेस्टिगेशन के अनुसार इस घटना में किसी तरह का सांप्रदायिक एंगल नहीं है. पुलिस इस मामले की जांच अभी कर रही है. नए फैक्ट आने पर हम स्टोरी को अपडेट करेंगे.

दावा- पालघर में मुस्लिम भीड़ ने 2 साधू और उनके ड्राइवर को पीट-पीट कर मार डाला

दावा करने वाले- सोशल मीडिया यूजर

सच- दावा गुमराह करने वाला है

Meenu Chaturvedi

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