छात्रों पर हुई हिंसा के विरोध में फिल्म स्टार दीपिका पादुकोण के JNU पहुंचने के बाद से दक्षिणपंथी गुट उनके विरोध में लामबंद है. सोशल मीडिया पर 10 जनवरी को प्रदर्शित होने वाली फिल्म छपाक के खिलाफ अभियान शुरू हो गया है. फिल्म को बॉयकॉट करने की मुहिम चलाई जा रही है. फिल्म के किरदारों को लेकर सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा. फिल्म दिल्ली में एक लड़की पर एसिड अटैक की सच्ची घटना पर आधारित है. दिल्ली के खान मार्केट में साल 2005 में नईम खान नाम के एक व्यक्ति ने लक्ष्मी अग्रवाल पर एसिड से हमला किया था. इस घटना में लक्ष्मी बुरी तरह घायल हुई थीं. नईम ने इस ये हमला इसलिए किया था कि लक्ष्मी ने उससे शादी करने से इंकार कर दिया था. स्वराज्य नामकी मैगजीन ने एक आर्टिकल में दावा किया कि फिल्म में जानबूझकर नईम का नाम बदलकर राजेश कर दिया है..
लेख का आर्काइव्ड वर्ज़न आप यहां देख सकते हैं. इसके बाद सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया दीपिका और उनकी फिल्म को तमाम वेरिफाईड अकाउंट से ट्रोल करना शुरू हो गया. शेफाली वैद्या, सोनम महाजन सहित तमाम दक्षिणपंथी लोगों ने इसे हिन्दुओं के खिलाफ साज़िश बताना शुरू कर दिया
बीजेपी नेता सुब्रहमणियम स्वामी ने भी इस मसले पर ट्वीट करके कहा अगर ऐसा है तो ये डिफेमशन है.
वहीं वकील ईशकरण सिंह भंडारी ने ट्वीट करके कहा कि उन्होने अपनी टीम से इस मामले में कोर्ट में मुकदमा दायर करने के निर्देश दिए हैं.
ट्विटर पर #Rajesh #nadeemkhan #boycott_chhapaak #nameitlikebollywood जैसे और कई हैशटैग दिनभर ट्रेंड करते रहे. जिसमें फिल्म बनाने वालों पर पाखंडी और हिन्दू धर्म को नीचा दिखाने के आरोप लगाए गए.
फैक्ट चेक
जांच के दौरान फिल्म की स्क्रीनिंग देखने वाले कई पत्रकारों के ट्वीट हमें मिले जिसमें कहा गया कि ये खबर झूठी है. Newslaundry के को-फाउंडर अभिनंदन सीकरी ने ट्वीट करके कहा कि फिल्म में आरोपी का धर्म बदला नहीं गया है.
दरअसल फिल्म में सभी पात्रों के नाम बदले हुए हैं. एसिड हमले की पीड़ित लक्ष्मी का नाम मालती है. एसिड हमले के आरोपी नईम खान का नाम बशीर खान है जबकि राजेश मालती के दोस्त का नाम है.
स्वराज्य ने बाद में अपने लेख को अपडेट करते हुए उसकी हेडलाइन दी , ‘After Outrage Over Chhapaak, Reports Claim Prime Accused Naeem Khan Not Given Hindu Name in Film’ यानि ‘छपाक पर मचे घमासान के बाद, आरोपी नईम खान का नाम फिल्म में हिन्दू के नाम पर ना रखने का दावा’
इस लेख को आप यहां पढ़ सकते हैं. मैगजीन के अंत में इंडिया टुडे की स्टोरी का हवाला देते हुए कहा कि नईम खान का नाम फिल्म में बशीर खान है. राजेश मालती का दोस्त है जो आरोपी नहीं है. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फिल्म आरोपी के धर्म को नहीं बदला गया है.
निष्कर्ष
दीपिका पादुकोण के जेएनयू के छात्रों के समर्थन में आने से एक वर्ग काफी नाराज है जिसकी वजह से उनके खिलाफ लगातार मुहिम चलाई जा रही है. उनकी फिल्म को सांप्रदायिक रंग देने के पीछे भी यही मकसद है. फिल्म को लेकर लगाए गए आरोप झूठे हैं. रियल कहानी पर बनी फिल्म में किरदारों के नाम बदले हुए हैं. आरोपी नईम खान की जगह हिन्दू नाम फिल्म में नहीं दिया गया है. फिल्म में आरोपी का नाम बशीर खान है जो मुस्लिम समुदाय का है.