राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ समर्थित पत्रिका पाञ्चजन्य ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के एक आदेश को सांप्रदायकि रंग देने की कोशिश की.पाञ्चजन्य ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करके गुमराह करने वाला दावा करते हुए लिखा ‘’मध्यप्रदेश हाईकोर्ट नें रेप के दोषी मोहम्मद फिरोज की मौत की सजा को उम्रकैद में बदला. कहा, दयालु था मोहम्मद फिरोज, लड़की को जिंदा छोड़ दिया’’. आर्काइव
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने 18 अक्टूबर को रेप के दोषी की अपील पर आजीवन कारावास की सजा को कम करके 20 साल करने का फैसला सुनाया था. कोर्ट ने अपने पूरे फैसले में कहा कि दोषी ने जघन्य अपराध किया है और किसी तरह से रियायत का अधिकारी नहीं है लेकिन साथ में ये भी कहा ”दोषी इतना तो दयालु था कि उसने पीडित को जिंदा छोड़ दिया” कोर्ट के आदेश को लेकर भ्रम फैलाकर सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है. पाञ्चजन्य के पत्रकार रितेश कश्यप नें डेली हंट नामकी वेबसाइट की रिपोर्ट का स्क्रीन शॉट पोस्ट किया और उसका लिंक भी दिया. स्क्रीन शॉट में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश में किसी दोषी का नाम नहीं लिखा है. लिंक में जाने पर एक रिपोर्ट मिलती है जिसकी आखिरी कुछ लाइनों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र है जिसमें मोहम्मद फिरोज नामक रेप के दोषी की सजा 20 साल करने की बात कही गई है. जो पहले उम्रकैद थी. लेकिन रीतेश ने कैप्शन में दावा किया ”मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने दोषी मोहम्मद फिरोज की मौत की सजा को उम्रकैद में इसलिए बदल दिया क्योंकि उसने रेप के बाद उसकी हत्या ना करके पीड़िता पर दया दिखाई यानि एक रेपिस्ट दयालु था’’ आर्काइव
सुदर्शन चैनल के रिपोर्टर ने भी यही दावा किया. आर्काइव
कल्पना श्रावास्तव नामक ट्विटर हैंडल से भी यही ट्वीट किया गया. ट्विटर बॉयो के अनुसार कल्पना एक वकील हैं. आर्काइव
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सच क्या है ?
वायरल दावे से कुछ की वर्डस लेकर हमने साधारण गूगल रिस्रर्च किया तो लगभग सभी अखबारों में ये रिपोर्ट दिखाई दी. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने 4 साल की बच्ची से रेप के दोषी राम सिंह की अपील पर उसकी आजीवन कारावास की सजा को 20 साल में बदल दिया. कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा कि दोषी ने बच्ची की जान ना लेकर दयालुता दिखाई है. रिपोर्ट के अनुसार ये घटना 31 मई 2007 की है. कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए अखबार ने लिखा इंदौर में जड़ी बूटी बेचने वाले राम सिंह ने बच्ची को लालच देकर अपने टेंट में बुलाया और रेप किया. निचली अदालत ने रामसिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा अपीलकर्ता के घिनौने कृत्य को देखते हुए अदालत इस केस में दी गई सजा को कम करने लायक नहीं मानती है. कोर्ट ने आगे कहा कि इस तथ्य पर गौर करते हुए कि दोषी ने कम से कम इतनी दया दिखाई कि बच्ची की जान बख्श दी. इसे देखते हुए हम आजीवन कारावास की सजा को कम करके 20 साल की कठोरतम सजा में बदलने की राय रखते हैं. ये पूरी रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं.
लाइव लॉ ने भी अपनी रिपोर्ट में कोर्ट के आदेश का जिक्र करते करते यही कहा.लाइव लॉ वेबसाइट में ही हमे मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के इंदौर बेंच के आदेश की कॉपी भी मिली . जिसे आप यहां देख सकते हैं. आदेश में कोर्ट ने दोषी का नाम राम सिंह बताया है. आदेश में कहा गया है कि दोषी ने इतना घिनौना काम किया है कि उसे रियायत नहीं दी जा सकती लेकिन बच्ची की जान बख्शनेे की दयालुता की वजह से उसकी सजा उम्रकैद से घटाकर 20 साल की जाती है.
आखिर मोहम्मद फिरोज कौन है ?
हमने कुछ की-वर्डस की सहायता से गूगल सर्च किया तो हमे कई रिपोर्ट मिली जिसमें मोहम्मद फिरोज के बारे में जिक्र था. दरअसल हाल ही में इंदौर के एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रेप और हत्या के दोषी मोहम्मद फिरोज की सजा उम्रकैद से 20 साल करने का फैसला सुनाया. ये मामला 2013 का है जिसमे एक चार साल की बच्ची के रेप और हत्या के आरोप में मोहम्मद फिरोज को फांसी की सजा सुनाई थी जबकि राकेश चौधऱी को बरी कर दिया था. 2017 में मोहम्मद फिरोज की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को आजीवन कारावास की सजा में तब्दील कर दिया था. आदेश देते समय सुप्रीम को्र्ट ने ऑस्कर वाइल्ड का कथन का उल्लेख किया था जिसमे उऩ्होने कहा था ”हर संत का इतिहास होता है और हर पापी का भविष्य” इसी महीने मोहम्मद फिरोज ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की तो सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद को 20 साल की सजा में तब्दील कर दिया और राकेश चौधरी को भी सात साल की जेल की सजा सुनाई
निष्कर्ष
दरअसल जो दावा किया जा रहा है वो गुमराह करने वाला और सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश करने वाला है. 18 अक्टूबर को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने जो फैसला सुनाया उसमें दोषी राम सिंह है मोहम्मद फिरोज नहीं. राम सिंह को लोअर कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी जिसे हाईकोर्ट ने कम करके 20 साल कर दी है. फैसला सुनाते समय कोर्ट ने कहा दोषी ने कम से कम इतनी दया दिखाई कि बच्ची की जान बख्श दी, इसे देखते हुए हम आजीवन कारावास की सजा को कम करके 20 साल की कठोरतम सजा में देने की राय रखते हैं. जबकि मोहम्मद फिरोज का मामला सुप्रीम कोर्ट का है.
दावा- मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रेप के दोषी मोहम्मद फिरोज पर दया दिखाते हुए फांसी की सजा कम करके 20 साल कर दी
दावा करने वाले- पाच्चजन्य, सुदर्शन टीवी के रिपोर्टर
सच- दावा गुमराह करने और सांप्रदायिक रंग देने वाला है