बिहार और असम में बाढ़ से जनजीवन अस्तव्यस्त है. लाखों लोग बेघर हो चुके हैं. असम में 85 लोगों कीअब तक मौत हो चुकी है. ऐसे में बाढ़ की तमाम तस्वीरें आप देख रहे होंगे. कांग्रेस महासचिव प्रिंयंका गाधी ने 20 जुलाई को अपने ट्विटर हैंडल से बाढ़ की दो पुरानी तस्वीरों को पोस्ट करके लिखा “असम, बिहार और यूपी के कई क्षेत्रों में आई बाढ़ से जनजीवन अस्त व्यस्त है। लाखों लोगों पर संकट के बादल छाए हुए हैं। बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए हम तत्पर हैं। मैं कांग्रेस कार्यकर्ताओं व नेताओं से अपील करती हूं कि प्रभावित लोगों की मदद करने का हर संभव प्रयास करें”. प्रियंका के इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन आप यहां देख सकते हैं.
इससे पहले 16 जुलाई को डीडी न्यूज ने भी इनमे एक तस्वीर को अपनी वेबसाइट पर असम-बिहार की बाढ़ पर लिखी एक रिपोर्ट में इस्तेमाल किया. इसेका आर्काइव्ड वर्जन आप यहां देख सकते हैं.
न्यूज-18 गुजराती ने भी 19 जुलाई को अपनी वेबसाइट पर बाढ़ पर लिखी रिपोर्ट में इसका इस्तेमाल किया. ट्विटर पर कोविड-19 की दुनियाभर की विश्वसनीय जानकारी देने के लिए मशहूर ‘Norbert elekkes’ ने भी 16 जुलाई को 4 तस्वीरों का एक कोलाज पोस्ट किया जिसमें एक तस्वीर यही थी. कैप्शन में उन्होने असम में बाढ़ के हालात का अपडेट भी दिया. आर्काइव्ड पोस्ट यहां देख सकते हैं.
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पहली तस्वीर
इस तस्वीर का गुगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर पता चला कि ये साल 2017 की तस्वीर है. कई मीडिया संगठनों ने उस दौरान बिहार में आई बाढ़ के दौरान इसे अपनी रिपोर्ट में प्रकाशित किया था. इन्हे आप यहां औऱ यहां देख सकते हैं. नीचे इंडियन एक्सप्रेस में 14 जुलाई 2017 को प्रकाशित की गई इस तस्वीर का स्क्रीन शॉट है.
तस्वीर के कैप्शन से पता चलता है कि ये बिहार के अररिया जिले की है. पीटीआई को तस्वीर का क्रेडिट दिया गया है.
दूसरी तस्वीर
इस तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च करने से भी काफी परिणाम मिले जससे पता चला कि ये असम के मोरीगांव जिले की है. साल 2019 में जुलाई के महीने में बिहार आई बाढ़ के दौरान इसे खींचा गया था. न्यूज एजेंसी यूएनआई ने उस समय इस तस्वीर के साथ एक रिपोर्ट भी प्रकाशित की थी.
इसके अलावा इंडियन एक्सप्रेस ने पीटीआई के सौजन्य से इसे रिपोर्ट के साथ 20 जुलाई 2019 को प्रकाशित किया था. रिपोर्ट के अनुसार असम के मोरीगांव की ये तस्वीर है.
ये दोनों तस्वीरें पुरानी हैं. इनका संबंध बिहार औऱ असम में आ इस महीने की बाढ़ से नहीं है. एक तस्वीर बिहार के अररिया जिले की साल 2017 की है जबकि दूसरी असम के मोरेगांव की साल 2019 की है.
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