किसानों के आंदोलन को लेकर झूठी और गुमराह करने वाली वाली जानकारियां फैलाने का काम जारी है. एक तस्वीर खूब वायरल हो रही है. तस्वीर में एक सिख हाथ में पोस्टर लिए हुए है जिस पर लिखा है ‘we want khaklistan’ औऱ नीचे कैप्शन में लिखा है ‘sikh youth federation bhionderawale.’ तस्वीर में कई सिख और भी हैं. दावा किया जा रहा है कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन पर खालिस्तान समर्थकों का कब्जा है. टिविटर पर एक यूजर ने तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा ”खालिस्तानियों और कांग्रेस ने इस आंदोलन को हथिया लिया है.” कुछ लोगों ने 5 तस्वीरों का एक कोलाज पोस्ट किया है जिसमें एक तस्वीर खालिस्तान समर्थक सिख की हाथ में पोस्टर लिए हुए है.

इसी तरह एक और ट्विटर यूजर ने लिखा ”क्या आपने इस विरोध में किसी किसान को देखा ? ये सभी खालिस्तानी हैं. ‘हम खालिस्तान चाहते हैं’ के नारे लगा रहे हैं.”

एक और पोस्ट आप नीचे देख सकते हैं

फेसबुक पर भी तस्वीर के साथ ये दावा वायरल है. रंजना जैन तस्वीर के साथ लिखती हैं ”इन्हे कृषि कानून नहीं खालिस्तान चाहिए पूरे देश को किसानों को शर्मसार कर रहे हैं.” ऑरिजनल तस्वीर यहां देख सकते हैं.

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फैक्ट चेक

तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च करने पर कई परिणाम मिलते हैं.एक परिणाम हमे संत जरनैल सिंह भिंडरावाले फाउंडेशन नामके फेसबुक पेज पर ले गया जहां ये तस्वीर साल 2017 में पोस्ट की गई थी . इस बात से ये तो साबित होता है कि तस्वीर अभी की नहीं 4 साल पुरानी है. ऑरिजनल तस्वीर आप यहां देख सकते हैं. नीचे स्क्रीन शॉट है.

ये जानने के लिए कि ये तस्वीर कहां की है और कितनी पुरानी है हमने कुछ और सर्च इंजन के जरिए तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च किया और परिणामों में दिखाई दिए इस तस्वीर के सभी लिंक की पड़ताल की. ये तस्वीर ‘getty images’ की वेबसाइट पर भी मिली जिसमें इसके बारे मे जानकारी भी दी गई थी. तस्वीर के साथ लिखे कैप्शन के मुताबिक तस्वीर को न्यूज एजेंसी ‘AFP’ के फोटो जर्नलिस्ट नरेंद्र नानू ने अपने कैमरे में कैप्चर की थी. ये मौका था अमृतसर के गोल्डन टेंपल में ऑपरेशन ब्लू स्टार के 29वे साल का. 6 जून 2013 को कई सिख संगठन यहां एकत्रित हुए थे. इस दौरान भिंडरावाले और खालिस्तान समर्थक सिख संगठनों ने ये पोस्टर हाथों में ले रखा था. ये इमेज आप यहां देख सकते हैं. नीचे स्क्रीन शॉट है.

निष्कर्ष

खालिस्तान के समर्थन का पोस्टर लिए सिख की तस्वीर का किसान आंदोलन से कोई मतलब नहीं है. हमारी जांच मे ये साबित होता है कि ये सात साल पुरानी तस्वीर है.

दावा- खालिस्तान के समर्थन की वायरल तस्वीर किसान आंदोलन की है.

दावा करने वाले –सोशल मीडिया यूजर

सच-दावा झूठा है

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