Indiacheck factcheck: 370 और जम्मू-कश्मीर का संबंध:फैक्ट फाइल
Indiacheck factcheck: 370 और जम्मू-कश्मीर का संबंध:फैक्ट फाइल

संविधान के अनुच्छेद 370 को लेकर बड़ा विवाद रहता है। बार-बार कहा जाता है कि इसको हटाया जाना चाहिए। जम्मू-कश्मीर के नेता कहते हैं कि ये धारा ही कश्मीर को भारत से जोड़ती है। इसे लेकर बहुत सारे सवाल हैं, आइये समझने की कोशिश करते हैं कि 370 आखिर है क्या ? इस पर इतना विवाद क्यों है?

अनुच्छेद 370 का विरोध औऱ समर्थन की तस्वीरों का स्क्रीन शॉट
दो तस्वीरे, एक 370 के विरोध में औऱ एक समर्थन में ( सौजन्य-पीटीआई)

अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य बनाती है। भारत-पाकिस्तान बंटवारे से पहले राजा हरिसिंह ने भारत में विलय की सहमति जताई थी। हालांकि पहले वो अलग रहने चाहते थे लेकिन पाकिस्तान के डर से वो भारत में शामिल हुए लेकिन कुछ शर्तों के साथ। यहीं से अनुच्छेद 370 की नींव पड़ी और इसका प्रावधान संविधान में कर दिया गया। बाद में शेख अब्दुल्ला ने राज्य के लिए अलग संविधान सभा बनाने की मांग की। 1951 में अगल संविधान सभा बुलाने की अनुमति दी गई औऱ 26 जनवरी 1957 को जम्मू-कश्मीर के लिए अलग संविधान लागू हो गया।

अनुच्छेद 370 एक तरह से जम्मू कश्मीर के भारत में विलय की शर्तों का मसौदा है। भारत में शामिल होने पर उसे किस तरह के अधिकार मिलेंगे उसकी कानूनी रुपरेखा है ये अनुच्छेद। इन प्रावधानों के अनुसार जम्मू-कश्मीर को ऐसे बहुत से अधिकार दिए गए जो अन्य किसी राज्य के पास नही है।विदेश नीति,रक्षा औऱ संचार को छोड़कर किसी कानून को बनाने के लिए राज्य की अनुमति ज़रूरी है।


कुछ ख़ास बातें धारा 370 के बारे में

  • जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है
  • कुछ ख़ास बातें धारा 370 के बारे में
  • भारत के राष्ट्रपति अन्य राज्यों की तरह धारा 356 के तहत जम्मू कश्मीर की सरकार को बर्खास्त नहीं कर सकते। ये तभी संभव है जब राज्य इसकी सिफारिश करे।
  • जम्मू-कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है
  • राज्य का अलग झंडा होता है
  • अनुच्छेद 370 में ही धारा 35 ए का उल्लेख है जिसके तहत किसी दूसरे राज्य का निवासी यहां ज़मीन या किसी तरह की प्रॉपर्टी नहीं खरीद सकता है
  • जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति आर्थिक आपातकाल नहीं लगा सकते। आपातकाल केवल दूसरे देश के साथ युद्ध की सूरत में लगाया जा सकता है
  • राज्य में हिंसा,अशांति के चलते आपातकाल तभी लगाया जा सकता है जब राज्य स्वंय इशकी सिफारिश करे
  • राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है। यहां संविधान का अनुच्छेद 356 लागू नहीं होता है

370 पर कोर्ट का रुख

अब सवाल ये उठता है कि क्या 370 को हटाया जा सकता है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिकाएं डाली जा चुकी हैं।2015 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि धारा 370 को हटाने का काम सिर्फ संसद कर सकती है।जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा था कि इस अनुच्छेद में ही ये व्यवस्था की गई है कि ना तो इसे हटाया जा सकता है और ना ही निरस्त।कोर्ट ने ये भी कहा था कि जम्मू कश्मीर बाकी राज्यों की तरह भारत में शामिल नहीं हुआ, भारत में विलय के वक्त जो शर्ते तय की गई थीं उसके मुताबिक राज्य ने अपनी विशेष पहचान के लिए कुछ चीजों पर करार किए थे

अनुच्छेद 370 को हटाया जाना संभव है कि नहीं,इस सवाल का जवाब काफी पेचीदा है। संविधान के अनुसार राष्ट्रपति पब्लिक नोटिफिकेशन के ज़रिए इस अनुच्छेद को खत्म करने का आदेश दे सकते हैं लकिन ये तभी संभव है जब राज्य की संविधान सभा इसके लिए सिफारिश करे। इसके अलावा भी जो विकल्प हैं वो आसान नहीं है।

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