तमिलनाडु के एक बस कडंक्टर की ट्रीमैन बनने तक की कहानी

पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिये एक साधारण परिवार से आने वाला इंसान जब अपनी आय का 40 प्रतिशत हिस्सा पेड़ों को लगाने में खर्च कर देता है, तो उसे ट्री मैन कहना सार्थक हो जाता है।जी हां यहां बात हो रही है, तमिलनाडु स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट की बस संख्या 70 के कंडक्टर एम योगनाथन की,जिन्हे लोग ट्री मैन के नाम से जानते है।

योगनाथन एक साधारण मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते है। स्कूल के दिनों में जब वह तपती धूप में पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करते थे, तब उन्हें प्रकृति से लगाव सा हो गया और वो अपनी कविताओं सें प्रकृति के बारें में लिखनें लगे।उन्होंने कोट्टागिरि में पेड़ माफियाओं के खिलाफ मुहिम भी छेड़ी, वो खाना बनाने के लिए पेडों को काटनें के खिलाफ रहते है। योगनाथन 12 वीं के बाद अपनी पड़ाई आगे नहीं बढ़ा सके ,लेकिन पर्यावरण के प्रति उनका प्रेम कम नहीं हुआ, वह पर्यावरण से संबंधित सभी तरह की खबरों को पड़ते है ।

ट्रीमैन के नाम से मशहूर योगनाथन की तस्वीर (सौजन्य-टाइम्स ऑफ इंडिया)

पिछले 15 वर्षो से बस कंडक्टर की नौकरी के साथ वह कुछ समय पेड़ों को लगानें के लिए निकाल ही लेते है। तमिलनाडु के 32 क्षेत्रों में लगभग 3 लाख पेड़ लगाने वाले योगनाथन पर्यावरण के प्रति काफी संवेदनशील है। प्रकृति के बारें में बच्चों में जागरूकता फैलाने के लिए वो स्कूलों में पर्यावरण की क्लास लेते है और उनकों पेड़ लगाने के लिए प्रेरित भी करते है। सप्ताह में सोमवार को उनकी छुट्टी होती है उस छुट्टी में उनका काम शैक्षिक संस्थानों ,स्कूलों ,कॉलेजों में जाकर पेड़ों को लगाना होता है। पर्यावरण को लेकर वो इतना गंभीर है कि अपनी तनख्वाह से कुछ पैसा बचाकर एक लेपट़ॉप खरीदा है जिससे वह पर्यावरण संबंधी स्लाइड दिखाकर बच्चों को प्रकृति के प्रति प्रेरित करते है । मजेदार बात यह है कि जो बच्चा पेड़ लगानें में उनकी मदद करता है वह उस पेड़ का नाम उस बच्चे के नाम पर रख देते है। जिससे औरों को भी प्रोत्साहन मिलें।

बच्चों को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करते हुए योगनाथन

पत्नी और दो बच्चों के साथ शांति से साधारण जीवन जीने वाले योगनाथन को 14 अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। जिसमें स्टेट इन्वायरमेंट डिपार्टमेंट का इको वॉरियर एवार्ड भी शामिल है।

योगनाथन को तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी सम्मानित करते हुए

उनकों सरकार और किसी भी संस्था से कोई भी आर्थिक सहायता नहीं मिलती बस परिवार का मॉरल सपोर्ट ही उनको यह यात्रा जारी रखनें की ताकत देता है।

पर्यावरण के प्रति योगनाथन का समर्पण हम सबके लिए भी एक मिसाल से कम नहीं होना चाहिए क्योंकि जब हम पर्यावरण के प्रति सजग होंगे तभी प्रकृति भी हम पर मेहरबान होगी और वर्षा ,शुद्ध वायु जैसे उपहार देती रहेगी। यदि लगातार पेड़ों औऱ वनों को काटकर इसका दोहन किया गया, तो बाढ़ ,सूखा जैसी न जाने कितनी आपदाओं का सामना करना पड़ेगा । इसलिए ”वृक्ष लगाओ प्रकृति बचाओ” का स्लोगन हम सबको याद रखना जरुरी है।

Meenu Chaturvedi

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Meenu Chaturvedi

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