संबित पात्रा ने देहरादून रेलवे स्टेशन की झूठी तस्वीर पोस्ट की,इंडिया टीवी ने लिखा ‘देहरादून हुआ देहरादूनम’

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने 12 जुलाई को शाम 6 बजकर 47 मिनट पर देहरादून रेलवे स्टेशन के साइनबोर्ड की लगभग 5 महीने पुरानी दो तस्वीर शेयर की और कैप्शन पर लिखा संस्कृत. इन दोनों में से एक साइनबोर्ड पर स्टेशन का नाम हिन्दी के साथ-साथ संस्कृत में लिखा है जो नया दिखता है. और दूसरे में हिन्दी के साथ उर्दू में लिखा है जो पुराना नजर आ रहा है.

पात्रा ने ये बताने की कोशिश की है कि देहरादून रेलवे स्टेशन के साइन बोर्ड से उर्दू में लिखा नाम हटा दिया गया है. और बड़ी चालाकी से सिर्फ एक शब्द संस्कृत लिखा जिससे वो झूठ निकलने पर ये कह पाएं कि उन्होने ये कहा ही नहीं कि स्टेशन के साइनबोर्ड पर नाम उर्दू से बदलकर संस्कृत भाषा में कर दिया गया है. लेकिन सोशल मीडिया पर जो वो चाहते थे उसका असर दिखने लगा. उनके ट्विवीट को 19 हजार से भी ज्यादा बार अब तक रिट्वीट किया जा चुका है. इंडिया टीवी ने भी अपनी वेबसाइट में इस पर रिपोर्ट प्रकाशित की. हेडलाइन में लिखा ‘संस्कृत ने ली उर्दू की जगह, देहरादून हुआ देहरादूनम’. पूरी रिपोर्ट के आखिर में इंडिया टीवी ने लिखा कि वो इस तस्वीर की पुष्टि नहीं करता है. आर्काइव्ड वर्जन यहां देख सकते हैं.

दरअसल इसकी शुरूआत हुई बीजेपी उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे के एक रिट्वीट कमेंट से. सहस्रबुद्धे ने ईगल आई नामके एक ट्विटर हैंडल के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा ये अच्छी शुरुआत है. जानकारी देने के लिए शुक्रिया. साथ में रेलवे मिनिस्टर को टैग किया. ईगल आई ने देहरादून रेलवे स्टेशन की इन्ही दो तस्वीर को ट्वीट करते हुए दावा किया कि रेलवे ने उत्तराखंड के सभी रेलवे स्टेशनों के साइनबोर्ड संस्कृत में लिखने का फैसला किया है. इस कदम को संस्कृत के प्रसार के रूप में देखा जा रहा है. कैफ्शन के साथ देहरादून रेलवे स्टेशन की तस्वीर शेयर की जिसमें उर्दू की जगह संस्कृत लिखा है. ईगल आई ने ये ट्वीट 11 जुलाई को किया था जबकि विनय सहस्रबुद्धे ने इस पर 12 जुलाई को टिप्पणी करते हुए रिट्वीट किया. खास बात ये थी कि उन्होने ये पोस्ट संबित पात्रा से 10 मिनट पहले किया था.

ये भी पढ़िए

सारा पायलट ने अशोक गहलोत पर ट्वीट करके हमला नहीं किया,IANS और कुछ मीडिया संगठनों का दावा गलत

सच्चाई क्या है ?

दरअसल ये पूरा मसला इस साल फरवरी के महीने का है. देहरादून स्टेशन पर लगे बोर्ड से उर्दू को हटाकर हिन्दी करने की तस्वीर सामने आई थी. मीडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार रेलवे के मानको मे लिखा है कि साइनबोर्ड पर हिन्दी, अंग्रेजी के अलावा दूसरी राजभाषा का नाम भी लिखा जा सकता है. उत्तराखंड सरकार ने संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा देने का प्रस्ताव पारित किया था. इसके बाद से राज्य में रेलवे के साइनबोर्ड पर संस्कृत लिखे जाने की मांग की गई थी. देहरादून स्टेशन पर उस समय रिनोवेशन का काम चल रहा था. जब काम पूरा हुआ औऱ स्टेशन को खोला गया तो लोगों ने साइनबोर्ड पर उस समय उर्दू की जगह संस्कृत में नाम लिखा देखा. लेकिन विवाद होने पर ये साइन बोर्ड हटा लिए गए थे. रेलवे ने सफाई दी थी कि कॉन्ट्रेक्टर ने उर्दू की जगह संस्कृत में नाम लिखे थे. फिर दोबारा उर्दू वाले साइनबोर्ड लगाए गए थे.और संस्कृत वाले साइनबोर्ड हटा लिए गए थे. रेलवे की तरफ से प्रेस रिलीज जारी की गई थी. इसमें कहा गया था कि उर्दू को हटाकर संस्कृत लिखने का कोई फैसला नहीं किया गया है. हां आगे उर्दू के साथ संस्कृत लिखने पर विचार किया जा सकता है.

रेलवे के अधिकारियों के अनुसार सोशल मीडिया पर वायरल ये तस्वीर गलत है. देहरादून स्टेशन पर लगे साइनबोर्ड में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है. साइनबोर्ड में हिन्दी, अंग्रेजी औऱ उर्दू में ही नाम लिखे हैं. इंडियन एक्सप्रेस ने भी पात्रा के ट्वीट के बाद रेलवे अधिकारियों से बात की जिसमें उन्होने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर झूठी है.

इंडिया चेक ने देहरादून रेलवे स्टेशन की लेटेस्ट तस्वीर प्राप्त की है जिसे आप नीचे देख सकते हैं.

निष्कर्ष

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता होने के नाते संबित पात्रा को ये जानकारी नहीं होगी ये बात मानना मुश्किल है. उन्होने जानते बूझते हुए लोगों को गुमराह करने औऱ सांप्रदायिक नरैटिव सेट करने उद्देश्य से ये ट्वीट किया है. पात्रा इससे पहले भी कई बार झूठी औऱ गुमराह करने वाले पोस्ट करते रहे हैं. झूठ साबित होने के बाद भी उन्होने कभी ये जरूरत नहीं समझी कि वो अपनी पोस्ट को हटा दें या माफी मांगे.

हमारी फैक्ट चेक स्टोरी में अगर आपको कोई गलती नज़र आती है तो आप हमें ज़रूर लिखें. हम अपनी गलतियों को स्वीकार करने के लिए पूरी तरह से हमेशा तैयार रहते हैं. आप हमें info@indiacheck.in या indiacheck1@gmail.com पर मेल कर सकते हैं. हम एक प्रक्रिया के तहत जांच करेंगे औऱ गलती पाए जाने पर स्टोरी को अपडेट करेंगे. आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं. हमारा ट्विटर हैंडल है @indiacheck1

Gyan Srivastava

Recent Posts

Fact-Check : क्या हमास का समर्थन करने वाले केरल के लोगों ने इटली के झंडे लेकर पैदल मार्च किया ? सच यहां जानें

7 अक्टूबर को फिलिस्तीनी उग्रवादी संगठन हमास के द्वारा इजराइल पर हमला किए जाने के…

1 year ago

Fact-Check : इजरायल-फिलीस्तीन संघर्ष के बाद सोशल मीडिया पर आई वायरल वीडियो की बाढ़, वायरल वीडियो का सच जानें !

Israel-Philistine Conflict Viral Video : 7 अक्टूबर को फिलिस्तीनी उग्रवादी संगठन हमास के द्वारा इजराइल…

1 year ago

Fact-Check : दैनिक जागरण ने भारतीय सेना के द्वारा पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक किये जाने की फेक न्यूज़ प्रकाशित की

मंगलवार को ‘दैनिक जागरण’ ने राष्ट्रीय संस्करण में पहले पृष्ठ पर ‘भारत ने पाकिस्तान पर फिर की…

1 year ago

Fact-Check : दरभंगा एम्स पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दावा गलत, एम्स निर्माण के लिए अभी जगह तय नहीं हुई

12 अगस्त 2023 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पश्चिम बंगाल…

1 year ago

Fact-Check : असंबंधित विरोध प्रदर्शन की पुरानी तस्वीरें हरियाणा हिंसा से जोड़कर शेयर की गईं

हरियाणा में नूंह हिंसा में अबतक 83 एफआईआर दर्ज, 159 लोग गिरफ्तार किये जा चुके…

1 year ago