एक तरफ भारत सरकार 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के बाद माइक्रो ब्लॉगिंग साइटस पर फेक न्यूज, नफरत फैलाने वालों पर कारर्वाई करने के लिए दबाव बना रही है, तो दूसरी तरफ झूठ फैलाने वालों पर इसका कोई असर नहीं है. किसान आंदोलन को लेकर एक ही व्यक्ति की तीन तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है.तीनों तस्वीरें अलग-अलग जगह की हैं.दावा किया जा रहा है कि ये व्यक्ति कभी पादरी बन जाता है तो कभी किसान बनकर आंदोलन शामिल हो जाता है. एक ट्विटर यूजर ने तीनों तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा ”ये लेफ्टिस्ट है…ये कभी पादरी…कभी प्रवचनकर्ता..तो कभी-कभी किसान बन जाता है”
इसी तरह एक और ट्विटर यूजर की पोस्ट आप इसी दावे के साथ नीचे देख सकते हैं.
हार्दिक भावसर नामके टिवटर यूजर के पोस्ट को लोगों ने 17000 बार रिट्वीट किया है. इसका आर्काइव्ड वर्जन आप यहां देख सकते हैं.नीचे स्क्रीन शॉट है.
फेसबुक पर भी लोग इसे खूब शेयर कर रहे हैं. कुछ फेसबुक पोस्ट आप यहां देख सकते हैं.
सबसे पहले हमने तीसरी तस्वीर की जांच शुरू की. इस तस्वीर में आप देख सकते हैं कि न्यूज एजेंसी एएनआई का लोगो लगा है. तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमे एजेंसी की एक रिपोर्ट मिली जिसमे यही तस्वीर है. रिपोर्ट 28 अप्रैल 2018 की है. रिपोर्ट के मुताबिक कन्यकुमारी में दो पादरियों के साथ धक्कामुक्की की गई थी. इसी को लेकर क्रिश्चियन समुदाय में खासी नाराजगी थी. घटना के लिए आरएसएस को जिम्मदार ठहराया गया था. वायरल हो रही एएनआई की तस्वीर बिल्कुल एक है. नीचे एनआई की रिपोर्ट का स्क्रीन शॉट देख सकते हैं. यहा पूरी रिपोर्ट पढ़ सकते हैं.
अब बात करते है दूसरी तस्वीर की. इस तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च करने पर एक यूट्यूब चैनल के वीडियो में ये तस्वीर हमे दिखाई दी. वीडियो 2017 में अपलोड किया गया है. यूट्यूब चैनल का नाम है ‘ARRA TV’. ऊपर जो तस्वीर है वही शख्स इस वीडियो में किसी कार्यक्रम बोलते नजर रहे हैं. वायरल तस्वीर से तुलना करने पर साफ हो जाता है कि ये इसी मौके पर ली गई है. वायरल हो रही दूसरी तस्वीर और वीडियो में दिख रहे शख्स की तस्वीर भी एक है और तस्वीर लेने का मौका भी एक है.
इस तस्वीर का रिवर्स मेज सर्च करने पर हभी हमे यूट्यूब पर एक वीडियो मिलता है जिसमें हूबहू वायरल तस्वीर दिखाई देती है. यूट्यूब चैनल का नाम है ‘Arputhar Yesu Tv’. वीडियो का टाइटल है ‘labourer’s day christian tamil sermon father jegath kasper speech on workers day 30-04-2018’. इस टाइटल से जाहिर होता है कि तस्वीरों में दिख रहे शख्स का नाम फादर जगथ कैस्पर है. और वो मजदूर दिवस मज़दूर दिवस के मौके पर बोल रहे हैं. फादर कैस्पर से हमने बात की तो उन्होने बताया कि वो ना तो अभी तक किसानों के आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली गए हैं और अभी जाने की कोई योजना भी नहीं हैं. उन्होने इन तीनों तस्वीरों को किसान आंदोलन से जोड़ने गलत बताया.
तीनों तस्वीरों की जांच से ये साबित होती है कि इनमें से किसी का भी किसान आंदोलन से संबंध नहीं है.जानबूझकर किसानों को बदनाम करने के लिए फादर कैस्पर की अलग-अलग तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है.
दावा- वायरल तस्वीरों में एक ही शख्स की अलग-अलग तीन तस्वीरों को किसान आंदोलन से जोड़ा गया
दावा करने वाले-सोशल मीडिया यूजर
सच-दावा झूठा है
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