जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म हो गया है. प्रेसिडेंशियल ऑर्डर के तहत अनुच्छेद 370 में उन विशेष प्रावधानों को रद्द कर दिया गया, जिसकी वजह से जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ था. हालांकि अनुच्छेद 370 खत्म नहीं हुआ है. ये संविधान में मौजूद रहेगा. सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में इस प्रेसिडेंशियल ऑर्डर की घोषणा की.
इस आदेश के तहत राष्ट्रपति ने भारत के संविधान की सभी व्यवस्थाओं को जम्मू-कश्मीर में लागू कर दिया. इस आदेश से अनुच्छेद 35 ए के तहत जम्मू-कश्मीर को मिलने वाले विशेष प्रावधान असंवैधानिक हो गए.
जम्मू-कश्मीर में क्या बदला?
- सिर्फ कश्मीर का स्थाई नागरिक नहीं अब कोई भी व्यक्ति यहां ज़मीन खरीद सकता है.
- अभी तक स्थाई नागरिक को ही राज्य सरकार की नौकरियां मिलती थीं. अब सभी को नौकरियां मिलेंगी
- बाकी राज्यों की तरह संसद के कानून यहां भी लागू होंगे, पहले विधानसभा की अनुमति लेनी ज़रूरी थी
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी राज्य में लागू किये जाएंगे
- राज्य की विधानसभा का कार्यकाल पहले 6 साल का था. अब ये 5 साल का होगा
- राज्य में अब अलग झंडे की भी कोई अहमियत नहीं होगी
- राज्य का अलग संविधान खत्म
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अनुच्छेद 370 और कश्मीर का संबंध
अब राज्य नहीं रहेगा जम्मू-कश्मीर
सोमवार को इसके अलावा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल भी राज्यसभा में पेश किया गया. इस बिल के अनुसार जम्मू-कश्मीर राज्य को दो भागो में बांट दिया गया. लद्दाख को इससे अलग कर दिया गया. औऱ दोनो को यूनियन टेरीटेरी बनाने का इसमें प्रावधान है. लद्दाख बिना विधानसभा जबकि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी. दिल्ली और पॉन्डिचेरी की तरह उपराज्यपाल यहां का मुखिया होगा. मतलब साफ है कि विशेष दर्जे तो ख़त्म हुआ ही, साधारण राज्य का दर्जा भी अब जम्मू-कश्मीर का नहीं रहेगा. इस बिल के लागू होते ही देश में राज्यों की संख्या 29 से घटकर 28 हो जाएगी.
विशेष दर्जे वाले अन्य राज्य
जम्मू-कश्मीर के अलावा अनुच्छेद 370 के तहत नॉर्थ-ईस्ट में विशेष प्रावधान कए गए हैं. अनुच्छेद 371 ए कहता है कि संसद का कोई भी कानून नागाओं के धर्म और सामाजिक कार्यकलापों के आधार पर नागालैंड में लागू नहीं होगा. इसी तरह 371 जी के तहत मिज़ोरम के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं. असम के लिए 371 बी, मनीपुर के लिए 371सी, सिक्किम के लिए 371 एफ औऱ अरउमाचल के लिए 371 एच में विशेष प्रावधान किए गए हैं. झारखंड, उत्तराखंड, आंध्र, कर्नाटक, गोवा के लिए भी विशेष प्रावधान हैं.