लॉकडाउन के बाद से सड़क पर बदहवास अप्रवासी मजदूरों की परेशान करने वाली असंख्य तस्वीरे दिखाई दे रहीं हैं . इस बीच कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक तस्वीर ट्विटर पर पोस्ट की और बीजेपी पर अपरोक्ष रूप से निशाना साधते हुए लिखा ‘न्यू इंडिया का सच’. तस्वीर में एक महिला अपनी पीठ पर छोटे से बच्चे को बांधकर साइकिल चला रही है. और पीछे एक बोरी में कुछ सामान रखा है.
सुरजेवाला की आर्काइव की गई तस्वीर आप यहां देख सकते हैं. इसी तरह समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता रिचा सिंह ने भी इसी तस्वीर को पोस्ट किया. उन्होने लिखा ‘वर्तमान और भविष्य को समेटे हुए सतत गतिशील भारत माता’
इसका आरकाइव लिंक यहां देखा जा सकता है. हालांकि दोनों ने इस पोस्ट को अब डिलीट कर दिया है.
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फैक्ट चेक
तस्वीर का गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर युक्रेन की न्यूज वेबसाइट https://telegraf.com.ua/ में ये तस्वीर नजर आती है. वेबसाइट ने 23 जुलाई 2012 को भारत में दिल्ली से सटे फरीदाबाद मे एक महिला के सब-वे में प्रसव की एक रिपोर्ट में ये तस्वीर छापी है. स्थानीय भाषा में प्रकाशित इस रिपोर्ट का अंग्रेजी अनुवाद में इस तस्वीर को आप नीचे देख सकते हैं. पूरी रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं.
इस रिपोर्ट से ये बात तो साबित होती है कि तस्वीर 2012 या उससे पहले की है. लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूरों की नहीं है. लेकिन तस्वीर कहां की है ? किसकी है ? कब ली गई? ये पता करना अभी बाकी था. इसी सर्च रिजल्ट में हमे फोटो आर्काइव करने वाली वेबसाइट pintrest में भी ये तस्वीर दिखाई दी. 2017 में ये तस्वीर अपलोड की गई. लेकिन इसके कैप्शन के अनुसार तस्वीर नेपाल की है. और नेपाल में महिलाओं का बच्चों को पीठ पर बांधकर बाइक चलाना आम बात है.इस तस्वीर में एक लिंक दिया हुआ है https://www.infonews.com/. लेकिन ये वेबसाइट अब बंद हो चुकी है.
खोज के दौरान ही हमे टाइम्स ऑफ इंडिया की फैक्ट चेक स्टोरी मिली जिसमें इस बताया गया कि European press photo agency पर ये उपलब्ध है. एजेंसी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक 29 जून 2012 को ये तस्वीर नेपाल की राजधानी काडमांडू में ली गई थी. कैप्शन के अनुसार एक नेपाली मां अपने बच्चे को पीठ पर बांधकर साइकिल से नेपालगंज शहर की तरफ जा रही है.
एक बात और यहां साफ हुई कि युक्रेन की वेबसाइट telegraf ने जिस स्टोरी पर इस तस्वीर का उपयोग किया था वो गलत था. इस तस्वीर का फरीदाबाद के सब-वे में प्रसव से कोई संबंध नहीं है.
निष्कर्ष
रणदीप सिंह सुरजेवाला और रिचा सिंह ने जो तस्वीर पोस्ट की है उसका प्रवासी मजदूरों से कोई संबंध नहीं है. हालांकि लॉकडाउन के बाद से हजारों मजदूर भूखे-प्यासे पैदल, साइकिल, रिक्शा से सैंकड़ों किलोमीटर की यात्रा अपने घर पहुंचने के लिए कर रहे हैं. कापी मजदूर हादसों का बी सिकार हुए हैं.