इन तीन तस्वीरों को आपने भी देखा होगा. एक तस्वीर में पुलिसकर्मी डरे हुए बच्चे को मारने के लिए डंडा उठाए हुए हैं. दूसरी तस्वीर में एक महिला छोटे-छोटे बच्चों को ढाढस बंधाते दिखाई देती है.और तीसरी तस्वीर एक बच्चे की है जिसका चेहरा खून से सना है. तीसरी तस्वीर काफी भयावह है इसलिए हम उसका चेहरा ढककर आपको दिखाएंगे. दावा किया जा रहा है ये तीनों तस्वीर हाल ही में हुए दिल्ली के दंगों के दौरान की हैं. हम बारी-बारी से वायरल तस्वीरों को आपको दिखाएंगे.
पहली तस्वीर
इस तस्वीर में पुलिसवाला बच्चे को लाठी से मारने के लिए धमका रहा है .तस्वीर के साथ कैप्शन है ‘बहुत बड़े आतंक को पीटते हुए दिल्ली पुलिस’
इसका आर्काइव्ड वर्ज़न आप यहां देख सकते हैं. पूर्व सांसद और हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए उदित राज नें भी इसे ट्विटर पर पोस्ट किया है.
दूसरी तस्वीर
दूसरी तस्वीर में एक महिला अपने बच्चों को गोद में छिपाकर ढाढस बंधा रही है.फेसबुक पर एक यूजर के अंग्रेजी में लिखे कैपशन का का हिन्दी अनुवाद है ‘ये तस्वीर मेरी यादों में हमेशा में रहेगी कि नरेंद्र मोदी ने मेंरे देश को क्या बना दिया.’
इस तस्वीर को भी उदित राज ने पोस्ट किया है.
तीसरी तस्वीर
यह तस्वीर एक बच्चे की है जिसके पूरे चेहरे से खून बह रहा है. इस तस्वीर मे बच्चे के चेहरे को हम नहीं दिखा रहे हैं क्योंकि ये बहुत भयावह है. इसके कैप्शन में लिखा है ‘’देश ये दर्द नहीं भूलेगा! स्कूल से घर आते बच्चे को भी दंगाइयों ने नहीं छोड़ा! अब तक एक बच्चे की जान लेने तक की खबर देश के सामने आयी है! दिल्ली दंगे की सोशल मीडिया पर आई हुई ये दर्दनाक तस्वीर! क्या कसूर था इस बच्चे का?’’
इसका आर्काइव्ड वर्ज़न आप यहां देख सकते हैं
शाहीन बाग में महिला प्रदर्शनकारियों को पैसे बांटने वाले वीडियो का सच
हमने पहले उस तस्वीर की खोज शुरू की जिसमें एक बच्चे को मारने के लिए पुलिसवाला डंडा उठाए हुए दिखता है. रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमे ये तस्वीर आसानी मिल जाती है. ये तस्वीर बांग्लादेश की है. और इसे 30 जून 2010 को ब्रिटेन के अखबार ‘The Guardian’ ने प्रकाशित किया था. तस्वीर को न्यूज एजेंसी ‘AFP’ के फोटो जर्नलिस्ट मुनीर-उज-ज़मान ने अपने कैमरे में कैद किया था. फोटो के कैप्शन के अनुसार साल 2010 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में गार्मेंट फैक्ट्री के कर्मचारियों के प्रदर्शन के दौरान पुलिस से टकराव हुआ था. उसी दौरान एक पुलिसकर्मी की बच्चे को लाठी से धमकाने की तस्वीर है. गार्मेंट कर्मचारी कम सैलरी और खराब व्यवस्था के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. कर्मचारियों ने शहर की मुख्य सड़क को जाम कर दिया था. कर्मचारियों को हटाने के लिए पुलिस ने आंसू गैस और वाटर कैनन भी छोड़े थे. ये तस्वीर और उस पर लिखा कैप्शन आप यहां देख सकते हैं.
दूसरी तस्वीर की भी असलियत हमें रिवर्स इमेज सर्च के ज़रिए पता चली. ये तस्वीर सीरिया के एलिप्पो शहर की है. 19 मई 2014 को एलिप्पो शहर के पास साहौर कस्बे को बम से उड़ा दिया जाता है. महिला का घर भी इस घटना में तबाह हो जाता है. तस्वीर इस घटना के बाद की है. महिला अपने छोटे-छोटे बच्चों को ढाढस बंधाती हुई दिखाई देती है. तस्वीर न्यूज एजेंसी AFP के फोटो जर्नलिस्ट ज़ेन अल-रिफाय ने ली है. हमे इसकी जानकारी getty images से मिली.
तीसरी तस्वीर भी हमे रिवर्स इमेज सर्च के दौरान Getty images में मिली. ये तस्वीर सीरिया की राजधानी दमिश्क की है. 21 फरवरी 2018 को इस तस्वीर को न्यूज एजेंसी AFP के फोटो जर्नलिस्ट आमिर अलमोहिबनी ने खींची थी. दमिश्क के पूर्वी क्षेत्र में इस बच्चे को कफ्र बातना नामके अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया था. उसी दौरान ये तस्वीर ली गई थी. ये बच्चा सीरियाई फाइटर प्लेन के हमले में घायल हो गया था
इन तीनों तस्वीरों का दिल्ली के दंगों से कोई मतलब नहीं है. इनमें से एक तस्वीर बांग्लादेश की है जबकि दो तस्वीरें सीरिया की हैं.
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