Fact Check:सुषमा स्वराज को आंध्रप्रदेश का गवर्नर बनाने का सच

सोमवार की रात अचानक एक खबर वायरल होना शुरू हुई सुषमा स्वराज के बारे में। कहा जाने लगा कि सुषमा स्वराज को आंध्रप्रेश का गवर्नर बनाया जा रहा है। थोड़ी देर बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाक्टर हर्षवर्धन ट्विटर पर सुषमा स्वराज को बधाई देते हैं। हर्षवर्धन ट्वीट में कहते हैं ”भाजपा की वरिष्ठ नेता और मेरी दीदी,पूर्व विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज जी को आंध्रपदेश का राज्यपाल बनने पर बहुत बधाई देता हूं। सभी क्षेत्रों में आपके लंबे अनुभव से प्रदेश की जनता लाभान्वित होगी।”  

डा. हर्षवर्धन के सुषमा स्वराज के गवर्नर बनने की बधाई देने के ट्वीट का स्क्रीन शॉट

न्यूज एजेंसी ने ANI भी डाक्टर हर्षवर्धन के हवाले से ये खबर ट्वीट की।

ANI के डा. हर्षवर्धन के हवाले से सुषमा को गवर्नर बनाए जाने वाले ट्वीट का स्क्रीन शॉट

ANI के इस ट्वीट को आप यहां भी देख सकते हैं। के बाद से तो जैसे सुषमा स्वराज को बधाई देने का तांता लग गया।


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सुषमा स्वराज के गवर्नर बनने का Fact Check

किसी भी राज्य के राज्यपाल बनाने की प्रक्रिया के बाद सरकार की तरफ से आधिकारिक जानकारी मीडिया को दी जाती है। सुषमा स्वराज के मामले में किसी भी तरह की आधिकारिक जानकारी नही दी गई थी।जिससे खबर की सत्यता पर सवाल थे। लेकिन डाक्टर हर्षवर्धन जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति की तरफ से किये गये ट्वीट पर लोगों ने मान लिया था कि ये खबर सही है। लेकिन थोड़ी ही देर बाद अपने ट्वीट को उन्होने हटा लिया। फिर भी ये माना जा रहा था कि सुषमा स्वराज को गवर्नर बनाया जाना तय है। हर्षवर्धन ने इसलिए अपना ट्वीट डिलीट किया कि अभी इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई। लेकिन  एक दिन बाद सुषमा स्वराज ने खुद ट्वीट करके साफ कर दिया कि ये खबर गलत है।

उन्होने एक ट्वीट में ये भी कहा कि वो अपना विदेश मंत्रालय का कार्यभार सौंपने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू जी से मिलने गई थी……….. टिविटर के लिए मुझे आंध्रप्रदेश का गवर्नर बनाने के लिए इतना ही काफी था।

उन्होंने लिखा, ‘मैंने उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू को विदेश मंत्रालय का ऑफिस खाली करने के विषय में बात करने के लिए फोन किया था। ट्विटर पर मुझे आंध्रप्रदेश का राज्यपाल नियुक्त करने के लिए इतना ही काफी था।’

सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले लॉ ग्रेजुएट, स्वराज 2014 में विदेश मंत्री बने, जब 26 मई को मोदी की पहली कैबिनेट ने शपथ ली। वह इंदिरा गांधी के बाद पोर्टफोलियो संभालने वाली केवल दूसरी महिला हैं।
पासपोर्ट के बुनियादी ढांचे के विस्तार और उन्नत जुड़ाव जैसे कई पाथ-ब्रेकिंग उपाय उनके कार्यकाल का मुख्य आकर्षण थे।
उन्हें सात बार संसद सदस्य के रूप में और तीन बार विधान सभा सदस्य के रूप में चुना गया है। उन्होंने 1970 के दशक में ABVP के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की।

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Meenu Chaturvedi

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